- आमुख
- पलायन एवं उसके प्रमुख कारण
- भारत नगरीय जनसंख्या निकट भविष्य के आंकड़े
- बढ़ती जनसंख्या एवं कार्यशाली समावेश
- स्मार्ट सिटी का शाब्दिक अर्थ
- स्मार्ट सिटीज के पांच (05) मानक
- निर्धनता निर्धारण का संक्षिप्त ऐतिहासिक पक्ष
- स्मार्ट सिटी संबंधित नवीनतम आंकड़े स्मार्ट
- सिटी संबंध प्रबंधन के केंद्र बिंदु
- UPSC-उत्तर लेखन
- जनसंख्या संतुलन के लिए यह आवश्यक है कि उसकी जनसंख्या घनत्व का वितरण भी संतुलित रहे लेकिन यदि क्षेत्रीय स्तर पर अवसर एवं विकास उपलब्धता में असमानता है तब यह कम विकसित क्षेत्र से अधिक विकसित क्षेत्र की ओर पलायन का कारण बनता है।
उदाहरण के लिए-
- हमारे "मक्खन सिंह" उत्तराखंड के रहने वाले हैं।
- मक्खन सिंह ने मेरे को बताया की पहाड़ी गांव लगभग खाली हो चुके हैं क्योंकि विकास का क्षेत्रीय संतुलन नहीं है और उसका प्रमुख एवं मूल कारण उचित अवसरों का उपलब्ध न होना है।
- हमारे मक्खन सिंह कहते हैं कि सर यदि उचित अवसर भी उपलब्ध हो तो हम लोग वहीं रुक कर विकास रूपी यज्ञ में अपनी आहुति देंगे लेकिन अवसर तो चाहिए? 🤔
अब-
- इस उदाहरण के साथ यदि हम पलायन/ Migration के मुख्य कारण को समझो तो यह दो कर्म से होता है-
- पहला स्वाभाविक (प्राकृतिक) जिसको प्रेरक प्रवास (Pull Factor) कहते हैं जहां एक परिपक्व व्यक्तित्व और अधिक उचित अवसरों की खोज में नगर की ओर पलायन करता है और इस प्रकार का पलायन किसी भी अर्थव्यवस्था में नगरी व्यवस्था विकास के लिए आवश्यक है किंतु
- वहीं दूसरे प्रकार के पलायन विवशता जनक है जिसे अपकर्ष प्रवास (Push Factor) भी कहते जिसके अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में मूलभूत सुविधा एवं अवसरों का अभाव होने के कारण व्यक्ति विवशता में अपने पैतृक निवास एवं स्थान को छोड़कर नगरों की ओर पलायन करता है यहां पलायन का मुख्य कारण
- नियोजन (रोजगार ) के उचित अवसर तथा
- शिक्षा एवं स्वास्थ्य की तुलनात्मक रूप से उचित व्यवस्था है।
- वर्ष 2040 तक भारत की कुल नगरीय जनसंख्या 50% हो जाएगी वर्तमान में यह प्रतिशत 36% है जिसके अनुसार यदि भारत की जनसंख्या इस समय 150 करोड़ की है तब इस गणना के अनुसार वर्तमान की नगर जनसंख्या 54 करोड़ हो जाती है।
- अब चुकी भारत प्रत्येक वर्ष लगभग 1.5 करोड़ लोग अपनी जनसंख्या में जोड़ देता है तब इस गणना के अनुसार 2040 में भारत की जनसंख्या लगभग 180 करोड़ होगी उस स्थिति में नगरीय जनसंख्या में, 2040 की गणना के आधार पर, लगभग 90 करोड लोग भारतीय नगरों में निवास करेंगे।
- अब इन आंकड़ों के संदर्भ में यदि हम भारत के वर्तमान नगरों की स्थिति पर दृष्टिपात करते हैं तो हमको हमारे चारों एक एक दृश्य ध्यान में आता है कि नगरों की जनसंख्या एवं व्यवस्था में असंतुलन है।
- यदि
- पुणे,
- नोएडा ग्रेटर,
- नोएडा,
- चंडीगढ़ जैसे कुछ नगरों को मानक माने तो सामान्यतः इन नगरों को छोड़कर भारत के अधिकतर नगर अधिक जनसंख्या के बोझ और अव्यवस्था से दबे हुए हैं।
अब-
- जबकि नगरीय जनसंख्या में वृद्धि होना निश्चित है तो
- निश्चित है कि ग्रामीण क्षेत्र से नगरीय क्षेत्र की ओर एक बड़ी संख्या में जनसंख्या पलायन होगा जो कि लगभग अप्रत्याशित होगी।
- इसके साथ ही क्योंकि जनसंख्या के आधार पर वर्तमान नगरों का विस्तार होना भी निश्चित है तब सुनिश्चित यह करना है कि यह विस्तार व्यवस्था पूरक होगा अथवा नहीं?
इस बढ़ती हुई
जनसंख्या का समावेश करने के लिए हमको दो स्तरों पर काम करना है -
- प्रथम हमको पता है कि जब गांव में जनसंख्या स्थिर रहेगी तब ही नगर की स्थाई एवं सतत वृद्धि होगी ऐसे में आवश्यक हो जाता है कि
- नगरों के स्थाईकरण के लिए गांव का स्थाईकरण करना ही होगा।
अब इस स्थिति में
हमको 3 दिशा में काम करना होगा-
- प्रथम विकास के माध्यम से गांव को अधिक स्थिर करना होगा जिस से कि जनसंख्या पलायन कि गति को धीमा किया जा सके।
- दूसरा नवीन योजनाबद्ध नगरों का विकास करना, तथा
- तीसरा नगरों की वहन क्षमता (Carrying Capacity - CC) में वृद्धि करनी होगी।
अब यदि यह कार्य कोई नगर या नगरों के समूह कर लेते हैं तो वह नगर अथवा समूह "Smart City" है। यही थी "दक्ष नगर/Smart City" विकसित करने की संकल्पना।
Note-
यदि व्याकरण के अनुसार स्मार्ट शब्द का हिंदी में अर्थ पता करते हैं तो वह "बुद्धिमत्ता" है किंतु स्मार्ट सिटी की संकल्पना नगरों की दक्षता में वृद्धि करना था इसलिए हिंदी में इसका रूपांतरण "दक्ष नगर" के रूप में किया जाएगा।
जहां यह तीन स्तर
पर काम करेगा-
तब स्मार्ट सिटी
का अर्थ एक ऐसा नगर है जो-
- अपनी पूर्ण क्षमता के साथ जनसंख्या को समावेशित कर सके
- जनसंख्या अर्थात मनुष्य जीवन स्तर में वृद्धि करने वाला हो अर्थात साधारण शब्दों में "स्मार्ट सिटी" अर्थात ऐसे नगर जो कि अपने आप में कौशल से परिपूर्ण है कि वह अधिक से अधिक जनसंख्या का समावेश तार्किकता एवं समाधान के साथ कर सके
- जिससे कि व्यक्ति विशेष के जीवन गुणवत्ता में वृद्धि हो सके।
अब शब्दावली "स्मार्ट" का जब यहां पर प्रयोग और उपयोग होता है तब इसका मूल तत्व-
"प्रौद्योगिकी के माध्यम से सीमित संसाधनों में एक सीमित स्थान के अंतर्गत व्यक्ति की जीवन गुणवत्ता तथा उसके कार्य दक्षता में वृद्धि करने से है।"
इस प्रयास में जो नेतृत्व करेगा वह राज्य है लेकिन जो इसको अंतिम परिणीति पर पहुंच कर लक्ष्य प्राप्ति करवाएंगा वह नागरिक है और इस पूरी प्रक्रिया में राज्य और नागरिक के मध्य एक स्वस्थ संवाद इसके प्रसंस्करण को निर्धारित करेगा।
स्मार्ट सिटी के पांच मानक तथा लक्ष्य निर्धारित करे गए थे-
- प्रथम स्मार्ट सुशासन / Governance
- स्मार्ट अर्थव्यवस्था
- स्मार्ट पर्यावरण
- स्मार्ट गतिशीलता / Transport Facilities
- स्मार्ट जीवन शैली
इस पृष्ठभूमि के साथ वर्ष 2015 में सरकार के द्वारा 100 स्मार्ट नगर बनाने का एक निर्णय लिया गया इस लक्ष्य के साथ कि जून 2024 तक यह सुचारू रूप से कार्य कर सके।
भूगोल अवधारणाएं/ सिद्धांत-Geography Concept
निर्धनता
निर्धारण का संक्षिप्त ऐतिहासिक पक्ष-
- वर्ष 1947 से वर्तमान समय तक नगरीय निर्धनता के निर्धारण में कई प्रकार से संशोधन हो चुके हैं।
- वर्ष 1960 के दशक तक प्राथमिक मानक "कुल कैलोरी ऊर्जा ग्रहण" करना था अर्थात भोज्य पदार्थों के माध्यम से कोई व्यक्ति कुल कितनी ऊर्जा ले रहा है।
- वर्ष 1971 में Y.K. Alagh समिति की स्थापना करी गई जिसने पहली बार एक संख्यात्मक मानक निर्धारित करा जिसके अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में वह व्यक्ति जो प्रतिदिन 2400 कैलोरी तथा नगरीय क्षेत्र में 2100 कैलोरी ग्रहण कर रहा है वह गरीबी रेखा के ऊपर है।
- वर्ष 1993 "लाकडावाला समिति" के माध्यम से संशोधन किए गए।
- लेकिन महत्वपूर्ण संशोधन वर्ष 2009 में स्थापित "तेंदुलकर समिति" के माध्यम से आया जहां "कैलोरी ग्रहण मानक" को आधार न मानकर एक बृहद स्तर पर -
- स्वास्थ्य,
- शिक्षा तथा
- दूसरी आवश्यक सुविधाओं की उपलब्धता को मानक माना गया।
- वर्ष 2012 में "रंगराजन समिति" की स्थापना करी गई जिनके मानक के अनुसार-
- नगरीय क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन ₹47 तथा
- ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन ₹32 से नीचे के व्यक्ति को गरीब माना गया।
- कालांतर में इस पर बहुत राजनीतिक विवाद हुआ लेकिन आज की स्थिति में-
- वर्ष 2022-23 के आंकड़ों के अनुसार इस समय नगरी निर्धनता 11.28% थी जो
- वर्ष 2024 के आंकड़े के अनुसार 4.09% पर आ चुकी है अर्थात देश में निर्धनता निरंतर कम हो रही है।
"दक्ष नगर/ Smart Cities" के 11 वर्ष-
- भारत सरकार के द्वारा उपलब्ध कराए गए नवीनतम आंकड़ों के अनुसार-
- 25 जून 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा "दक्ष नगर मिशन/ Smart Cities Mission" प्रारंभ किया गया
- जिसका मूल उद्देश्य है भारत के 100 नगरों में रहने वाले भारत वासियों की जीवन गुणवत्ता में एक प्रभावी तथा सकारात्मक सुधार करना था।
- यह सुधार-
- प्रभावशाली सेवा उपलब्धता,
- प्रभावी अवसंरचना विस्तार तथा
- सतत समाधान के माध्यम से किया जाना था।
इसके लिए लक्षित
किया गया -
- आर्थिक वृद्धि/ Economic Growth,
- समावेशी वातावरण/ Inclusive Environment तथा
- सततता/ Sustainability.
- आवास,
- परिवहन,
- शिक्षा,
- स्वास्थ्य तथा
- मनोरंजन का विस्तार किया जाए।
- इस लक्ष्य के साथ की जो भी स्थान उपयोग में लिया जा रहा है वह पर्यावरण की दृष्टि से उचित हो ताकि पर्यावरण के साथ सामंजस्य बना रहे।
इस प्रकार लक्ष्य
को प्राप्त करने के लिए कुल-
परियोजना के
मुख्य ज्ञान बिंदु केंद्र निम्नलिखित है-
- एकीकृत निर्देशन तथा नियंत्रण केंद्र - अब प्रत्येक सरकार नागरिकों की जनसुनवाई के लिए एक निश्चित केंद्र स्थापित करती है।
- सार्वजनिक सुरक्षा - यदि उत्तर प्रदेश का उदाहरण ले तो यह सर्वाधिक पुलिस बल भरती करने वाले राज्य में एक अग्रणी राज्य है जहां "सार्वजनिक सुरक्षा गुणवत्ता" अब राष्ट्रीय उदाहरण का विषय है।
- जलापूर्ति- हर घर जल जहां स्वच्छ एवं पीने योग्य जलापूर्ति नगर निगम के माध्यमों से की जा रही है।
- सार्वजनिक स्थल विकास - पार्क का विकास तथा उनमें व्यायाम संबंधी उपकरण राज्य सरकारों की ओर से लगाई जा रहे है।
- मल व्यवस्था- स्वच्छ भारत मिशन
- ठोस अपशिष्ट प्रबंधन - सरकार निरंतर सार्वजनिक सूचनाओं के माध्यम से ठोस अपशिष्ट प्रबंधन में निरंतर संदेश का प्रसार करती है कि गीला कचरा एवं सूखा कचरा को अलग कर ही उसका निस्तारण करें।
- परिवहन - मेट्रो (Metro), मोनोरेल ( Mono Rail), नवीन बस स्थानक (Bus Stand ) एवं विमानपत्तन (Airport ) का विकास इसी दिशा में किया गया कार्य है।
- शिक्षा - सरकार के द्वारा अनेक प्रकार से शिक्षा प्रावधान के लिए योजनाएं इसी दिशा में किए गए कार्य है। उदाहरण के लिए Private School में गरीब वर्ग के बच्चों के लिए 25% सीट का आरक्षण।
- स्वास्थ्य- प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तथा प्रत्येक जिले पर एक मेडिकल कॉलेज की स्थापना स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधार कर "स्मार्ट सिटी" को गति देने की एक प्रकल्प योजना है।
अब यदि इन तथ्यों
के आधार पर हम निष्कर्ष निकालने का प्रयास करें तो -
- प्रत्येक सुविधा सृजन में निवेश किया जाएगा
- जिसके लिए मूलभूत अवसंरचना विकास आवश्यक है
- अंततः प्रत्येक प्रकार की अवसंरचना विकास में मानव पारिश्रमिक बल की आवश्यकता होगी और
- यह पारिश्रमिक बल नगरीय क्षेत्र में रहने वाले निम्न आय वर्ग से ही आएगा।
- सेवा के पारिश्रमिक के रूप में उनको अपना पारिश्रमिक अर्थात मेहनताना मिलेगा तथा
- यह धनराशि अर्थात पैसे उनकी गरीबी को दूर करने में सहायक होंगे।
- इस प्रकार प्रत्येक वर्ग और प्रत्येक स्तर पर इस निवेश की गई लिए धनराशि का वितरण होगा।
उदाहरण स्वरूप-
- सीमेंट उद्योग में काम करने वाले व्यक्ति को उसका पारिश्रमिक मिलेगा,
- लोहे की फैक्ट्री में काम करने वाले व्यक्ति को उसका पारिश्रमिक मिलेगा,
- माल ढुलाई करने वाले व्यक्ति को उसका पारिश्रमिक मिलेगा और
- इस प्रकार अनेक सेवाओं में कार्य करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को उसका पारिश्रमिक मिलेगा
- अर्थात जो धन-पूंजी निवेश करी गई है वह "अनुपातिक समान रूप" से सबके बीच में वितरित होगी।
UPSC-उत्तर लेखन
- जनसंख्या अपने आप में बल है यदि इसका संवर्धन उचित प्रकार से होता है तो बल और अधिक प्रभावशाली होगा। "दक्ष नगर/ स्मार्ट सिटीज (Smart City)" की संकल्पना इस संवर्धन का अगला क्रम है जहां जीवन को गुणवत्तापरक बनाकर सामाजिक एवं आर्थिक न्याय को सुनिश्चित किया जाता है।
- भारत सरकार के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार 1.6 लाख करोड़ की धनराशि कुल 8067 परियोजनाओं में निवेशित करी गई है तथा सफलता प्रतिशत 94% कर रहा है।
- सुशासन,
- अर्थव्यवस्था,
- पर्यावरण,
- गतिशीलता तथा
- जीवन शैली के उद्देश्य से निवेशित धनराशि के माध्यम से उच्च कोटि की नवीनतम अवसंरचना, परिवहन, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं अन्य संबंधित पक्ष सुद्रण किए जाएंगे।
- परिणाम स्वरूप यहां निवास करने वाले नागरिकों को इनके निर्माण के लिए उचित नियोजन के अवसर निर्धनता उन्मूलन का कार्य करेंगे एवं राज्य की नीति सम्मत एवं नियोजन से प्राप्त सेवाएं अंतिम लक्षित परिणाम के रूप में न्यायिक वितरण में परिलक्षित होगी।
🙏
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