गुरुवार, 2 अक्टूबर 2025

NCERT-भूगोल-कक्षा-07-अध्याय 05-थलशाला-terrarium meaning in hindi-जल चक्र का चित्र-water cycle in hindi explain-अलवणीय लवणीय जल किसे कहते हैं स्रोत बताइए-लवणीय जल वाली झील-gaet'ale pond in ethiopia-in hindi-gaet'ale pond location-दनाकिल डिप्रेशन-danakil depression in hindi-don juan talab kahan hai-don juan pond in hindi-कैस्पियन सागर से लगे देश-कैस्पियन सागर कहां है-कैस्पियन सागर क्या है-सांभर झील-पुलिन किसे कहते हैं-beach in hindi-समुद्री तरंग क्या है-समुद्री जल धाराएं-समुद्री जल के गुणधर्म-ज्वार भाटा किसे कहते हैं-ज्वार भाटा कब क्यों आता है-ज्वार भाटा के प्रकार & कारण-महासागरीय धारा के प्रकार-ocean currents in hindi-सुनामी कैसे आती है-अपकेंद्रीय बल


 

      प्रधान शब्दावली

 


👉NCERT-भूगोल कक्षा-07 👀



थलशाला/ Terrarium



  1. कांच की दीवारों का बना यह एक बंद पात्र होता है जिसमें एक पौधे को लगाया जाता है।
  2. कांच का होने के कारण इसमें सूर्य का प्रकाश एवं ताप पर्याप्त मात्रा में पहुंचता है।
  3. परिणाम स्वरूप जल प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में तथा मिट्टी से जल वाष्प में परिवर्तित होता है।
  4. जल वाष्पन की प्रक्रिया के पश्चात ही इसका वास्तविक लाभ मिलता है क्योंकि अब यह वास्तविक जल संघनन की प्रक्रिया के परिणाम स्वरूप कांच की दीवारों पर जल में परिवर्तित हो जाता है तथा फिर से पेड़ पौधे की पत्तियों तथा मिट्टी पर गिरकर समायोजित हो जाता है।
  5. इस प्रकार यह पौधे के लिए जलचक्र निरंतर चलाएं मान रखता है।परिणाम स्वरूप पौधे का विकास निश्चित जल की मात्रा में भी तीव्र गति से होता है।

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जल चक्र/ Waterc Cycle


  1. हम पिछले अध्याय में अध्ययन कर चुके हैं कि पृथ्वी पर जल का विभाजन किस-किस रूप में कितने प्रतिशत अंश के साथ मिलता है।
  2. हम जानते हैं कि लगभग 97.5% जल समुद्र के लवणीय जल में स्थापित है तथा केवल 2.5% जल ही मीठे जल के रूप में उपलब्ध है।





अलवणीय जल/ Non Saleted water -Fresh water

  1. समुद्री जल पिंड से इतर वह जल जोकि मीठे जल के स्रोत के रूप में उपलब्ध है लवणीय जल कहलाता है।

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लवणीय जल/ Sated water



  • समुंद्री जल पिंड का वह जल जिसमें लवण की मात्रा घुलनशील रहती है लवणीय जल कहलाता है।
  • समुद्र के लवणीय जल में अधिकांश मात्रा सोडियम क्लोराइड लवण (NaCl), अर्थात वह तत्व जो कि हमारी रसोई में साधारण नमक के रूप में जाना जाता है, की होती है।
  • समुद्री जल की सत लवणता 35/1000 gm है।
  • विश्व की सर्वाधिक लवणीय जल राशि "गेटाले तालाब (Gatale Pond)" जल पिंड है।
  • यह अफ्रीका महाद्वीप के इथोपियन/ Ethiopian देश में स्थित "दनाकिल डिप्रेशन ( Danakil Depression)" का एक तालाब है।
  • इसकी लवणता औसत लवणता से 12 गुना या 43.5% या लगभग 44% है

  • इसके साथ ही एक अन्य जलराशि जिसका नाम "डॉन जुआन तालाब (Don Juan Pond)" है तथा यह अंटार्कटिका के क्षेत्र में स्थित है।
  • इसकी गिनती भी विश्व की सर्वाधिक लवणीय जलराशि में होती है जिसकी लवणता 44% है लेकिन चित्र के माध्यम से यदि हम देखें तो यह लगभग सूख चुकी है।
  • इस प्रकार यदि दोनों राशियों की तुलना करें तो लगभग एक समान स्थिति पर है क्योंकि डॉन जुआन तालाब सूखने की अवस्था में दिखाई देती है इसलिए वैश्विक स्तर पर इस समय सर्वाधिक "गेटाले तालाब (Gatale Pond)" जल पिंड ही है।
  • "कैस्पियन सागर/ Caspian Sea Lake" विश्व की सबसे बड़ी खारे पानी की झील है।
  • यह एशिया महाद्वीप की भी सबसे बड़ी खारे पानी की जल राशि झील है।
  • कैस्पियन सागर से कुल पांच देश लगे हैं -
  1. रूस,
  2. कज़ाख़िस्तान,
  3. तुर्कमेनिस्तान,
  4. ईरान और
  5. अजरबैजान
 

  • "सांभर झील" राजस्थान भारत की सबसे बड़ी खारे पानी की झील।



पुलिन / Beach


      

  1. समुद्री जल के किनारे की वह भूमि जोकि समुद्री जल एवं नदी के द्वारा निक्षेपित किए गए अवसाद से निर्मित होती है पुलीन कहलाते हैं।
  2. "समुंद्री तरंग/ Sea Waves" तथा "ज्वार/ Tides" भाटा में ज्वार की स्थिति में अवसाद समुद्री जल से बाहर किनारे की भूमि पर लाए जाते हैं तथा निक्षेपित किए जाते हैं।
  3. समुद्री जल वापस लौटते समय निक्षेपित अवसाद को वही छोड़कर चला जाती है।
  4. इसी प्रकार जब नदी समुंदर में अपने मुहाना बनाती है तब ढाल प्रवणता लगभग शून्य होने के कारण समुद्र के किनारे की भूमि में अपने अवसाद का निक्षेपण अर्थात जमा करते हुए आगे बढ़ती है।


 

तरंग/ Waves


  • समुद्र का जल निरंतर गतिशील रहता है जिसमें वह 
  1. तरंग, 
  2. ज्वार भाटा तथा 
  3. महासागरीय धारा के माध्यम से गति करता रहता है।

  • इसी प्रक्रिया में जब समुद्र की सतह पर चलने वाली पवन समुद्री जल के साथ घर्षण करती है तब संबंधित तरंग उत्पन्न होती है 
  • क्योंकि घर्षण की इस संपूर्ण प्रक्रिया में वायुमंडल दाब एक महत्वपूर्ण कारक के रूप में कार्य करता है 
  • जहां उच्च वायुदाब के पवन संचरण के प्रक्रम में समुद्र का जल वायुभार के कारण नीचे की ओर दब जाता है 
  • अर्थात उसे स्थान पर वायुमंडलीय भार (वायुमंडलीय दाब) अधिक होता है। 
  • इसी की प्रतिक्रिया में निकटवर्ती स्थान के जल पर "उत्प्लावन/ Buoyancy force" बल लगता है और यहां वायुमंडलीय भार तुलनात्मक रूप से कम हो जाता है 
  • परिणाम स्वरूप तरंग अपने शीर्ष स्तर को प्राप्त करती है जिसे तरंग का "शिखर/Crest" कहते हैं।
  • "अतः वह प्रक्रिया जिसमें समुद्री सतह पर जल निरंतर उठता एवं गिरता है तब समुद्री तरंगे उत्पन्न होती हैं"
  • समुंद्री तरंगे तट के निकट आने पर वहां की समुद्री स्थल आकृति प्रभावित होकर और अधिक तीव्र हो जाती हैं।

 

 

ज्वारभाटा/ TIDE

 


  • ज्वार भाटा भी एक प्रकार की समुद्री लहरें हैं जोकि चंद्रमा एवं सूर्य के द्वारा लगने वाली गुरुत्वाकर्षण बल के प्रभाव में उत्पन्न होती हैं।
  • "यद्यपि सूर्य सबसे अधिक गुरुत्वाकर्षण बल आरोपित करता है लेकिन पृथ्वी से चंद्रमा की तुलना में दूरी बहुत अधिक होने के कारण चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण बल सूर्य से 2 गुना पृथ्वी पर आरोपित होता है"
  • जब सूर्य चंद्रमा एवं पृथ्वी की एक रेखीय स्थिति (180°) होती है तब उच्च ज्वार आते हैं।
  • उदाहरण के लिए यदि एक रेखीय  स्थिति में चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के मध्य स्थित है या पृथ्वी सूर्य एवं चंद्रमा के मध्य स्थित है तब ऐसी स्थिति में चंद्रमा के द्वारा तीव्र गुरुत्वाकर्षण बल पृथ्वी पर आरोपित होता है।
  • पूर्णिमा तथा अमावस्या के दिन सूर्य पृथ्वी एवं चंद्रमा एक रेखा में ही स्थित होते हैं।
  • इसका मुख्य कारण चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण बल को सूर्य के द्वारा और अधिक बल प्रदान करता है।
  • परिणाम स्वरूप पृथ्वी पर उच्च ज्वार आता है लेकिन यह उच्च ज्वार एक साथ दो आते हैं।
  • उदाहरण के लिए एक उच्च ज्वार उस दिशा में आएगा जिस दिशा में चंद्रमा स्थित है।
  • इस ज्वार के आने का मुख्य कारण आरोपित गुरुत्वाकर्षण बल है।
          


  • जबकि दूसरा उच्च ज्वार ठीक इस उच्च ज्वार के विपरीत पृथ्वी के दूसरे पक्ष पर आएगा जिसका मूल कारण पृथ्वी पर लगने वाला "अपकेंद्रीय बल/ Centre Fugal" होगा। ऐसा पृथ्वी के द्वारा गुरुत्वाकर्षण बल संतुलित करने के लिए होता है।





महासागरीय धारा/ Ocean Currents

 

  1. समुद्री जल के संचालन का तीसरा प्रकार महासागरीय धाराएं हैं।
  2. यह धाराएं प्रकृति के आधार पर दो प्रकार की होती है
                                           

    

  1.     उष्ण एवं
  2.     शीतल अर्थात गर्म एवं ठंडी।


  1. उष्ण महासागरीय धारा समुद्री जल की सतह पर पृथ्वी के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों से शीत प्रदेश अर्थात ध्रुव की ओर चलती है।
  2. जबकि ठंडी महासागरीय धारा ध्रुव प्रदेशों से उष्णकटिबंधीय क्षेत्र की ओर चलती है।
  3. महासागरीय धाराओं की उत्पत्ति के पांच प्रमुख कारण है-
  • -  पवनों का घार्षड
  • -  समुद्र सतह पर तापमान का अंतर
  • -  समुद्र की लवणता का अंतर
  • -  पृथ्वी पर आरोपित होने वाला गुरुत्वाकर्षण बल एवं
  • -  पृथ्वी का घूर्णन।

इन पांच बल के द्वारा समग्र रूप से कार्य करने पर पृथ्वी पर महासागरीय धाराएं उत्पन्न होती हैं।


सुनामी/ Tsunami

 

  1. जब समुंद्री तल पर भूकंप अथवा ज्वालामुखी उद्गार के द्वारा हुए भूस्खलन से विशाल मात्रा में जल का विस्थापन होता है, तथा यह जल एक तीव्र वेग एवं सामान्य से उची समुंद्री तरंगों के माध्यम से तटीय क्षेत्र से टकराता है तब इस प्रकार की भौगोलिक घटना को सुनामी कहते हैं।
  2. सामान्य रूप से समुंद्र की ऊर्ध्वाधर तरंग जिसकी ऊंचाई 100 फीट तक हो सकती है सुनामी तरंग कहलाती है।


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इंदिरा पॉइंट/ Indira Point

 


  1. भारत में वर्ष 2004 में आई सुनामी के कारण भारत की सागरीय सीमा में स्थित दक्षिणतम बिंदु इंदिरा पॉइंट, जोकि अंडमान निकोबार दीप समूह के दक्षिणतम में स्थित है, वह जलमग्न हो गया था।


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