शुक्रवार, 3 अक्टूबर 2025

NCERT-भूगोल-कक्षा-07-अध्याय 06-वनस्पति के बारे में जानकारी-वनस्पति जगत वर्गीकरण-वनस्पति जगत का आधुनिक वर्गीकरण बताइए-वन किसे कहते हैं-वितान का अर्थ-वितान किसे कहते हैं-सघन वन किसे कहते हैं-खुले वन-उष्णकटिबंधीय वन किसे कहते हैं-उष्णकटिबंधीय वन के उदाहरण-उष्णकटिबंधीय वन पाए जाते हैं-उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन भारत में पाए जाते हैं-उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन कहां उगते हैं-उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन की विशेषताएं-शीतोष्ण सदाबहार वन किसे कहते हैं-शीतोष्ण पर्णपाती वन in hindi-शीतोष्ण पर्णपाती वन में होते हैं-bhumadhya sagar vanaspati pai jaati hai-mediterranean vegetation meaning in hindi-भूमध्य सागर वनस्पति के नाम-भूमध्यसागरीय वनस्पति की विशेषता लिखिए-भूमध्यसागरीय जलवायु की विशेषताएं-शंकुधारी वन किसे कहते हैं-शंकुधारी वन की विशेषताएं-टैगा वन किसे कहते हैं-टैगा वन की विशेषता-उष्णकटिबंधीय घास के मैदान-उष्णकटिबंधीय शीतोष्ण घास के मैदान के नाम-कांटेदार झाड़ी वाले वन-टुंड्रा वनस्पति क्या है कहां मिलती है?


 

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वनस्पति के वृद्धि कारक/ Vegetation Responsible Factors

  • सामान्य परिस्थिति में किसी भी स्थान की वनस्पति वृद्धि वहां की जलवायु पर निर्भर करती है जिसमें
  • तापमान जलवायु निर्धारण का सर्वाधिक प्रमुख कारण होता है।
  • किसी भी स्थान का तापमान वहां की स्थलाकृति पर निर्भर करता है प्रमुख रूप से
     

  1. तटीय क्षेत्र से निकटता अथवा दूरी
  2. उसकी अक्षांशीय एवं
  3. उच्चावच स्थिति
  4. महासागरीय धाराओं का प्रभाव तथा
  5. वायु राशि की स्थिति।
इसके साथ ही तापमान की उच्चता अथवा न्यूनता  उस स्थान के
  1. वायुदाब,
  2. पवन प्रवाह दिशा तथा
  3. वायुमंडल में उपस्थित आद्रता को प्रभावित करती है।
इन सभी कारको के समग्र रूप से कार्य करने पर यह उस स्थान की वनस्पति को निरूपित करते हैं।


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वनस्पति वर्गीकरण/ VEGETATION CLASSIFICATION

 

  • सामान्य स्थिति में वनस्पति को तीन वर्गों में विभाजित किया जाता है-

01-  वन/ Forest

02-  घास स्थल/ Grass Land तथा

03-  झाड़िया/ Shrubs

 

वन/ FOREST

 



  • सामान्य परिभाषा में पृथ्वी की सतह का वह भाग जोकि वृक्ष से घिरा हुआ है वन कहलाता है।
  • अन्य परिभाषा में पृथ्वी की सतह पर, "वृक्ष आच्छादन एक ऐसा क्षेत्र जोकि एक निश्चित तापमान तथा वर्षा आधारित होते हुए अपना एक परी तंत्र विकसित करता है"
  • अर्थात जो कि उस स्थान की नमी एवं तापमान आधारित होते हैं तथा जिनमें विभिन्न प्रकार के वन्य जीव एवं वनस्पति एक परितंत्र के अंतर्गत जीवन व्यतीत करते हैं।


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वितान/ Canopy

 

  • वृक्ष का शीर्ष भाग जोकि क्षैतिक रूप से विस्तार लिए होता है तथा सूर्य की किरणों को या तो पृथ्वी की सतह पर आने नहीं देता अथवा बहुत ही कम मात्रा में आने देता है वृक्ष का वितान कहलाता है।
  • वितान के विकास स्वरुप ही कोई वृक्ष अधिक अथवा कम छायादार होता है।


   

सघन एवं खुले वन/ DENSE & OPEN FOREST

 

  • सघनता के आधार पर वनों को दो वर्गों में विभाजित किया गया है सघन वन एवं खुले वन
  • सघन वन अर्थात वह वन जिनका वितान वन भूमि के 70% भाग को ढके होता है।
  • खुले वन अर्थात वह वन जिनका वितान वन के कुल क्षेत्रफल का न्यूनतम 10% क्षेत्र घेरता है लेकिन किसी भी स्थिति में वह 40% से अधिक न हो


 

उष्णकटिबंधीय वन / सदाबहार वन/ Equatorial EVERGREEN Forest



  • हमें ज्ञान है कि पृथ्वी की आकृति गोलाकार है तथा सूर्य का आकार पृथ्वी से 109 गुना अधिक बड़ा है परिणाम स्वरूप पृथ्वी पर सूर्य की किरणें पृथ्वी की गोलाकार आकृति के कारण एक समान कोण के साथ नहीं पड़ती है।
  • इसी कारण से पृथ्वी के मध्य में सूर्य की किरणें सीधी तथा ध्रुव की ओर बढ़ते हुए किरण है तिरछी होना प्रारंभ होती हैं।
  • जिसके परिणाम स्वरूप पृथ्वी के मध्य से ध्रुव की ओर बढ़ते हुए सामान्य रूप से तापमान सतत कम होता रहता है।
  • तापमान वायुदाब एवं पृथ्वी पर पवनों की गति प्रवाह एवं दिशा को निर्धारित करता है।
  • इसी कारण से भूमध्य रेखा तापमान अधिक (औसत तापमान 30 डिग्री सेंटीग्रेड) होता है, जो की न्यूनतम 21 डिग्री सेंटीग्रेड तथा अधिकतम 45 से 50 डिग्री सेंटीग्रेड के मध्य रहता है। 
  • परिणाम स्वरूप वायुदाब कम होने के कारण सघन वर्षा होती है।
  • यहां की सामान्य अधिकतम वार्षिक औसत वर्षा 660 सेंटीमीटर तक हो सकती है।
  • वह वन जिनका वार्षिक वर्षा अनुपात 200 सेंटीमीटर अथवा उससे अधिक होता है उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन कहलाते हैं।
  • यह वन वर्ष भर हरे भरे रहते हैं अर्थात ऋतु के अनुसार पतझड़ नहीं करते हैं।
  • इस लिए उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन कहलाते हैं।
  • इन वनों को "उष्णकटिबंधीय वर्षा वन" भी कहते हैं जोकि भूमध्य रेखा एवं उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों पर पाए जाते हैं।
  • यह वन सघन वन की श्रेणी में आते हैं।
  • वितान के अधिक व्यापक होने के कारण सूर्य का प्रकाश सतह पर नहीं पहुंच पाता।
  • यहां पाए जाने वाले वृक्ष कठोर काष्ठ वाले होते हैं।
  • भारत में यह वन,
  1. पश्चिमी घाट के पश्चिमी छोर, 
  2. अंडमान तथा निकोबार दीप समूह एवं 
  3. पूर्वोत्तर राज्य के क्षेत्र में मिलते हैं।
  • विश्व की कुल जैव विविधता की 80% विविधता इन्हीं वर्षा वनों में पाई जाती है हैं।
  • पेड़ों की औसत ऊंचाई 40 मीटर से 60 मीटर के मध्य रहती है, जोकि अधिकतम 85 मीटर तक जा सकती है।
  1. रोजवुड , 
  2. आबनूस, 
  3. महोगनी, 
  4. आयरनवुड, 
  5. रबड़ इत्यादि प्रमुख वृक्ष यहां के उदाहरण है।


 

उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन / मानसूनी वन/ Monsoon Vegetation


  • भारत में इन वनों का विस्तार सर्वाधिक है। यह वन-
  1. भारत
  2. उत्तरी ऑस्ट्रेलिया तथा
  3. मध्य अमेरिका
  4. म्यानमार
  5. थाईलैंड तथा
  6. दक्षिण पूर्वी एशिया के अन्य भागों में मिलते हैं।
  • इन वनों का वार्षिक औसत वर्षा पार्क 50 से 100 सेंटीमीटर के मध्य होता है।
  • यह वन रितु अनुसार पतझड़ करते हैं इसी कारण से इनको पर्णपाती अर्थात पतझड़ वन कहते हैं।
  • पतझड़ जो कि सामान्य शीत ऋतु के अंत में अर्थात ग्रीष्म ऋतु के प्रारंभ मेंजिसे भारत में बसंत ऋतु भी कहते हैं, के समय होता है
  • इसका मुख्य कारण वृक्षों के द्वारा जल संरक्षण की प्रक्रिया है परिणाम स्वरूप यह अपनी पत्तियां झाड़ का जल संरक्षण करते हैं
  • भारत के कुल क्षेत्रफल में इनका का क्षेत्रफल प्रतिशत 80% का है
  • साल, सागवान, शीशम, बास, महुआ, नीम, आम, पीपल इत्यादि मानसूनी वनों के प्रमुख उदाहरण है।


 


शीतोष्ण सदाबहार वन/ Temperate EVERGREEN Forest


  • हम जानते हैं कि वनों के निर्धारण में उपलब्ध वर्षा अनुपात सर्वाधिक महत्वपूर्ण कारक है।
  • शीतोष्ण सदाबहार वन महाद्वीपों के दक्षिण पूर्वी भाग पर पाए जाते हैं अर्थात यह मध्य अक्षांश की तटीय प्रदेशों में स्थित है।
  • जैसे की 

  1. दक्षिणी चीन
  2. दक्षिणी पूर्वी अमेरिका तथा
  3. दक्षिणी पूर्वी ब्राज़ील।

  • इसका मुख्य कारण इस क्षेत्र में ऋतु परिवर्तन होना होता  है
  • परिणाम स्वरूप यहां तीव्रता ताप के साथ साथ एक स्वस्थ एवं शीतल मौसम भी मिलता है।
  • शीतोष्ण कटिबंध क्षेत्र का विस्तार 20 डिग्री अक्षांश से 35 डिग्री अक्षांश तक उत्तर तथा दक्षिणी गोलार्ध में रहता है।
  • महाद्वीप के आंतरिक भाग में तापमान अधिक होने के कारण एक कम दबाव के क्षेत्र का निर्माण होता है परिणाम स्वरूप  दक्षिणी पूर्वी भाग दक्षिण पुरवाई पवनों के प्रभाव में होने के कारण लगभग 150 सेंटीमीटर या उससे अधिक वर्षा प्राप्त करता है।
  • इसके ठीक विपरीत शीत ऋतु में साइबेरिया के ऊपर एक उच्च दबाव का क्षेत्र बनता है तथा प्रति चक्रवात की परिस्थितियां उत्पन्न होने के कारण दक्षिण पूर्वी तटीय क्षेत्रों में वर्षा होती है।
  • इसके साथ ही ग्रीष्म ऋतु के अंत में इस क्षेत्र में चक्रवात, जिन्हें वहां पर हरिकेन कहां जाता है, भी उत्पन्न होते हैं एवं चक्रवाती वर्षा होती है।
  • इन तीनों कारण के परिणाम स्वरूप हमें शीतोष्ण सदाबहार वन मिलते हैं।
  • इस वनस्पति को चाइना प्रकार वनस्पति  अथवा नाताल प्रकार वनस्पति के नाम से जानते हैं।


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शीतोष्ण पर्णपाती वन/ TEMPERATE CONICAL FOREST

 

  • यह वनस्पति हमें महाद्वीपों के उत्तर पूर्वी भाग में मिलती मध्य अक्षांश अर्थात 40 डिग्री अक्षांश से 50 डिग्री अक्षांश के मध्य उत्तरी एवं पूर्वी गोलार्ध में मिलती है।
  • जिनमें प्रमुख रूप से -
  • उत्तर पूर्वी अमेरिका, चीन, न्यूजीलैंड, चिल्ली तथा पश्चिमी यूरोपीय देशों के तटीय प्रदेश आते हैं।
  • कारण स्पष्ट है की वर्षा की मात्रा तुलनात्मक रुप से कम होने के कारण शीत ऋतु के समाप्त होते ही एवं ग्रीष्म ऋतु के प्रारंभ होने पर वृक्ष पतझड़ करके जल संरक्षण का कार्य करते हैं।
  • यहां की वार्षिक औसत वर्षा 75 सेंटीमीटर से 150 सेंटीमीटर के मध्य है।

 

भूमध्य सागर वनस्पति/ MEDITERRANIAN VEGETATION

 

  • इस जलवायु का अक्षांशीय विस्तार 30 डिग्री से 45 डिग्री अक्षांश के मध्य महाद्वीपों के पश्चिमी तथा दक्षिण पश्चिमी भाग में उत्तरी तथा दक्षिणी गोलार्ध में मिलता है।
  • जलवायु के क्षेत्र में यूरोप अफ्रीका तथा एशिया के भूमध्य सागर के समीप वाले प्रदेश एवं इसी के साथ प्रमुख रूप से -
  1. दक्षिणी इटली
  2. तुर्की
  3. सीरिया
  4. पश्चिमी इस्रियल
  5. उत्तर अमेरिका के कैलिफोर्निया
  6. दक्षिण अमेरिका का चिली एवं
  7. दक्षिणी ऑस्ट्रेलिया के राज्य सम्मिलित है
  • इस जलवायु में ग्रीष्म काल में वर्षा न होकर शीतकाल में होती है
  • वर्षा होने का मुख्य कारण -
  1. पृथ्वी के ऊपर उपस्थित वायुदाब पेटिओ का स्थानांतरण तथा, 
  2. पश्चिमी पछुआ पवनों का प्रवाह है।
  • ग्रीष्म काल का तापमान 20 से 26 डिग्री का रहता है जबकि शीतकाल का तापमान 5 से 15 डिग्री के मध्य रहता है।
  • वार्षिक औसत वर्षा 40 से 80 सेंटीमीटर के मध्य रहती हैं।
  • क्योंकि यह जलवायु प्रमुख रूप से भूमध्य सागर के चारों ओर पाई जाती है इसलिए इसको "भूमध्यसागरीय जलवायु" कहते हैं।
  • यहां के वृक्ष शुष्क एवं ग्रीष्म ऋतु में स्वयं को ऋतु परिवर्तन के अनुसार ढालने वाले होते हैं।
  • वृक्ष की छाल मोटी एवं पत्तियां वाष्प उत्सर्जन को रोकती है।
  • रसीले खट्टे फलों की खेती होती है।
  • प्रमुख रूप से यहां पर -
  1. संतरा,
  2. अंजीर जैतून एवं 
  3. अंगूर अर्थात नींबू वंश के फल पैदा होते हैं।
  • मनुष्य ने अपनी इच्छा अनुसार कृषि करने के लिए यहां वृहद स्तर पर वनों का कटान किया है इसी कारण से यह वन्य जीवन आनुपातिक रूप से कम मात्रा में मिलता है।
  • इसको विश्व का "फलोद्यान क्षेत्र/ Food Basket Region" भी कहते हैं।


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शंकुधारी वन/ CONICAL FOREST

 


  • उच्च अक्षांश अर्थात 50 से 70 डिग्री अक्षांश के मध्य शंकुधारी वनों का विस्तार मिलता है।
  • इन अक्षांश क्षेत्रों में रात काल की समय अवधि लंबी एवं दिन की छुट्टी होती है तथा मध्य से अधिक वार्षिक वर्षा अनुपात रहता है
  • इन पेड़ों के शीर्ष शंकु आकर के एवं पत्तियां एक सुई के समान अत्यधिक पतली होती है।
  • उत्तरी यूरोप की शंकुधारी वनस्पति को टाइगा वनस्पति कहते हैं।
  • जिस का अर्थ ध्रुव के चारों ओर की सदाबहार शंकुधारी वनस्पति से है।यह वनस्पति पृथ्वी के कुल क्षेत्रफल का लगभग 17% भाग उत्तरी गोलार्ध में अपने पास रखती हैं।
  • हिमालय क्षेत्र में यह वनस्पति 4500 मीटर की ऊंचाई से मिलना प्रारंभ होती है।
  • इस वनस्पति में वृक्ष लंबे तथा नरम काष्ठ वाले सदाबहार वृक्ष होते हैं।
  • चीड़, देवदास के वृक्ष यहां प्रमुख उदाहरण के रूप से मिलते हैं।

 

टैगा/ TAIGA

        
  • उत्तरी यूरोप की शंकुधारी वनस्पति को टाइगा वनस्पति कहते हैं।
  • जिस का अर्थ "ध्रुव के चारों ओर की सदाबहार शंकुधारी वनस्पति" से है।
  • यह वनस्पति पृथ्वी के कुल क्षेत्रफल का लगभग 17% भाग उत्तरी गोलार्ध में अपने पास रखती हैं।




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    POLITY-CLASS-06


 

उष्णकटिबंधीय घास स्थल/ TROPICAL GRASS LAND

          
  • यह घास स्थल विश्व के भिन्न-भिन्न महाद्वीपों पर पाए जाते हैं।
  • प्रमुख रूप से यह घास के मैदान दक्षिणी अमेरिका महाद्वीप, अफ्रीका महादीप भारत तथा ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप पर पाए जाते हैं।
  • उष्णकटिबंधीय घास स्थल में वर्ष भर ग्रीष्म ऋतु रहती है 
  • यह अपनी वर्षा ग्रीष्म ऋतु में प्राप्त करते हैं एवं शीत ऋतु कल यहां पर शुष्क ऋतु होती है।
  • यहां का वार्षिक औसत तापमान 20 से 30 डिग्री सेंटीग्रेड का रहता है तथा वार्षिक औसत वर्षा 50 से 95 सेंटीमीटर के मध्य रहती है।
  • परिणाम स्वरूप शीत ऋतु काल में यहां जल का अभाव हो जाता है एवं वृहद संख्या में पक्षी एवं पशु एक स्थान से दूसरे स्थान की ओर प्रवास करते हैं।
  • घास के मैदानों के प्राकृतिक निर्माण इस बात पर निर्भर करता है कि जल के वाष्पीकरण की दर कितनी है?
  • परिणाम स्वरूप पर्याप्त जल के अभाव में एक "समतल स्थलाकृति वाले घास के मैदान" विकसि होते हैं
  • यहां घास की ऊंचाई 3 से 4 मीटर तक हो सकती है 
  • तथा इन घास के मैदानों में घास के साथ साथ ही वृक्ष तथा झाड़ियां भी मिलती है जोकि शीतोष्ण कटिबंधीय क्षेत्र में अनुपस्थित होती हैं
  1. अफ्रीका में इनको सवाना,
  2. दक्षिणी अमेरिका में लानोज, कैंपौस़ के नाम से जाना जाता है।
  3. भारत में  मुख्य क्षेत्र मध्य प्रदेश तथा उसके दक्षिण भाग में जहां भारत में पश्चिमी घाट के कारण शुष्क क्षेत्र का निर्माण होता है।
  • प्रमुख वन्य पशुओं में-
  1. हाथी, 
  2. जेब्रा, 
  3. जिराफ, 
  4. हिरण, 
  5. तेंदुआ, 
  6. चीता एवं 
  7. हायना यहां के प्रमुख पशु है।

 

शीतोष्ण घास स्थल/ TEMPERATE GRASS LAND

        
  • शीतोष्ण घास के मैदान शीत कटिबंधीय क्षेत्र अर्थात मध्य अक्षांशीय क्षेत्रों में 30 से 45 डिग्री उत्तरी गोलार्ध एवं दक्षिणी गोलार्ध में महाद्वीप के भीतरी भागों में मिलते हैं।
  • उष्णकटिबंधीय क्षेत्र के विपरीत यहां ऋतु परिवर्तन होते हैं एवं वृक्ष तथा झाड़ियां अनुपस्थित रहती हैं।इन घास के मैदान में वर्षा बसंत ऋतु के अंत में तथा ग्रीष्म ऋतु के प्रारंभिक काल में होती है।
  • यहां की वार्षिक औसत वर्षा में 50 से 90 सेंटीमीटर के मध्य रहती है।
  • यहां प्रमुख रूप से जंगली भैंस बायसन एंटी लॉक इत्यादि पशु पाए जाते हैं।
  • शीतोष्ण कटिबंधीय घास के मैदाने को- 
  1. उत्तरी अमेरिका में प्रेरिज,
  2. अर्जेंटीना में पैंपास,
  3. दक्षिण अफ्रीका में वेल्ड,
  4. यूरेशिया में स्टेपिस तथा 
  5. ऑस्ट्रेलिया में डांउस के नाम से जाना जाता है
Note- 
      "भारत में हिमालय के तराई का क्षेत्र तथा समस्त चावल, गेहूं की खेती की पेटी (Belt) शीतोष्ण कटिबंधीय घास के मैदान के उदाहरण है।"

 

काटेदार झाड़ी/ SHRUBS

        
  • यह वनस्पति
  • महाद्वीपों के पश्चिमी किनारे पर शुष्क उपोष्ण कटिबंधीय तथा गर्म शीतोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में पाई जाती है जहां वार्षिक औसत वर्षा 25- 50 सेंटीमीटर की रहती है।
  • न्यूनतम वर्षा का क्षेत्र होने के कारण इसको मरुस्थली अथवा शुष्क वनस्पति भी कहते हैं।
  • जल संरक्षण करने के लिए यह पतझड़ करती है।
  • इस कटीली दार वनस्पति में वृक्षों की ऊंचाई 10 मीटर से अधिक नहीं होती जो कि सामान्य रूप से 7 से 8 मीटर के मध्य ही रहती है।
  • दक्षिण अमेरिका में इससे कटिंगा के नाम से भी जाना जाता है।

 

टुंड्रा वनस्पति/ TUDRA VEGETATION

          
  • ध्रुव प्रदेशों की वनस्पति जहां प्राकृतिक वनस्पति का आभाव होता है तथा केवल छोटी झाड़ियां लाइकेन एवं कार्य पाई जाती  है।
  • यह वनस्पति यूरोप एशिया एवं उत्तरी अमेरिका के द्रव्य प्रदेश क्षेत्र में पाई जाती है।
  • जिनका विकास अल्पकालीन ग्रीष्म ऋतु के समय में होता है टुंड्रा वनस्पति कहलाती है।


Note-

  1. किसी भी क्षेत्र की वनस्पति का विकास वहां उपलब्ध जल की मात्रा पर निर्भर करता है तथा जल की मात्रा उस स्थान की स्थलाकृति एवं जलवायु पर निर्भर करती है।
  2. हमने यह अनुभव किया है कि हमारे घरों में जो पेड़ पौधे भूमि की सतह अथवा गमले में लगे होते हैं यदि उनको पर्याप्त मात्रा में सूर्य का प्रकाश एवं ताप तथा जल प्राप्त होता रहे तब उनकी वृद्धि उचित प्रकार से होती है।
  3. ठीक उसी प्रकार से पृथ्वी के विभिन्न स्थानों पर उपलब्ध है जल प्रकाश एवं आपकी उपस्थिति उस स्थान की वनस्पति को निर्धारित करती है।


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