शनिवार, 11 अक्टूबर 2025

जनसांख्यिकी शीत ( डेमोग्राफिक विंटर) की अवधारणा क्या है? क्या यह दुनिया ऐसी स्थिति की ओर अग्रसर है? विस्तार से बताइए।-जनसांख्यिकीय शीत-jansankhiki sankraman kya hai-डेमोग्राफिक विंटर क्या है-demographic winter kya hai in hindi-विश्व जनसंख्या वृद्धि दर कितनी है-भारत की जनसंख्या वृद्धि दर कितने प्रतिशत है-europe ka jansankhya ghantv-virginity lose meaning in hindi-वर्जिनिटी मीनिंग इन हिंदी-rape cases in india-America-Britain-France-Norway-Iceland-पोर्न इंडस्ट्री क्या है-अप्रवासन का अर्थ-immigration meaning in hindi-shramik bal-यूरोप में राष्ट्रवाद-jansankhya santulan kya hai-जनसंख्या असंतुलन-population dividend meaning in hindi-जनसांख्यिकी संक्रमण का सिद्धांत-आंध्र प्रदेश प्रजनन दर क्या है-प्रजनन दर किसे कहते हैं-fertility rate of-fertility rate meaning in hindi-


अनुक्रमणिका/Index -

  1. अल्बर्ट आइंस्टीन का सापेक्षता सिद्धांत के आधार पर जनसंख्या प्रस्तावना
  2. घटती हुई जनसंख्या के दुष्प्रभाव
  3. वैश्विक जनसंख्या प्रतिशत (%) वितरण
  4. ब्रिटेन के उदाहरण पर समझ विकसित करना
  5. कुंवारेपन की आयु/Age of Virginia lose आंकड़े
  6. वैवाहिक औसत आयु आंकड़े
  7. प्रति एक लाख महिलाओं पर बलात्कार की दर के आंकड़े
  8. भारत जनसंख्या ध्यान आकर्षण
  9. जनसांख्यिकी शीत (डेमोग्राफिक विंटर) ?
  10. जनसांख्यिकी संक्रमण दर?
  11. UPSC/IAS-उत्तर





  • विश्व विख्यात भौतिकविद "अल्बर्ट आइंस्टीन / Albert Einstein" ने सापेक्षता का सिद्धांत दिया जिसकी अभिव्यक्ति उन्होंने E=mc2  सूत्र के माध्यम से की यहां पर -
  1. "E" उर्जा का प्रतिनिधित्व करता है 
  2. “m” Mass अर्थात द्रव्यमान का तथा 
  3. “c” प्रकाश की गति को दर्शाता है।


अब इस सूत्र को जनसंख्या की दृष्टि से देखते हैं।

  • तो यदि “m” अर्थात अनुपातिक जनसंख्या आपके पास है एवं जनसंख्या आधारित एक उचित वेग का निर्धारण कर जब इन दोनों का मिलन अर्थात गुणात्मक योग करेंगे तब ऊर्जा का उत्पादन होगा या 
  • वह अपने आप में एक संगठित ऊर्जा होगी।
  • क्योंकि यदि अनुपातिक जनसंख्या हमारे पास नहीं है तब अग्र लिखित कारणो के साथ वेग धीरे-धीरे शिथिल होने लगेगा जैसे की-

 

जनसांख्यिकी असंतुलन के नकारात्मक प्रभाव-

  1. जनसंख्या की नवीनीकरण की प्रक्रिया धीमी
  2. अर्थात संबंधित देश की जनसंख्या का DNA नवीनीकरण एवं पुनर्यौवन की धीमी प्रक्रिया।
  3. इस प्रकार DNA का क्षैतिज विस्तार भी धीमा हो जाएगा।
  4. अर्थात मानव संसाधन उसके विकास तथा प्रस्फुटन की दर एवं गतिविधि भी आनुपातिक रूप में धीमी।
  5. शैक्षणिक एवं बौद्धिक मस्तिष्क की कमी।
  6. कार्यकारी बल की कमी।
  7. बौद्धिक मानव संसाधन तथा कार्मिक मानव संसाधन की कमी।
  8. निर्भर एवं आश्रित बुजुर्ग लोगों में वृद्धि अर्थात कमाने वाले कम और उपभोग करने वाले अधिक।
  9. आर्थिक विषमता परिवारों को तोड़ने का काम करेगी और व्यक्ति केवल अपने आप में और अपने परिवार में धर्मपत्नि एवं बच्चे तक सीमित हो जाएगा।
  10. तो निश्चित है देश में बुजुर्ग आश्रमों की संख्या में वृद्धि होगी जो की एक सामाजिक संरचना के लिए शुभ संकेत नहीं है।
  11. यह रिश्तो में व्यक्ति से व्यक्ति के प्रति अविश्वास की स्थिति को जन्म देगा।
  12. समाज का यह व्यवहार समाज में एक दूसरे के प्रति संदेह की स्थिति को उत्पन्न करेगा जिससे समाज में सामंजस्य और समरसता की कमी आएगी।
  13. यह अंतिम रूप में एक अनिश्चित वातावरण का सृजन करेगी और हम जानते हैं कि जब वातावरण अनिश्चितता का होता है तब संसाधनों का अधिक दोहन एवं अधिक संग्रह होता है।
  14. पुनः एक बार यह आर्थिक चक्र को नकारात्मक रूप से प्रभावित करेगा जिससे कि प्रथम परिणाम के रूप में देश की अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति अर्थात महंगाई की दर लगातार वृद्धि करेगी।
  15. परिणाम स्वरुप अर्थव्यवस्था में उत्पादन एवं उत्पादकता की कमी।
  16. मांग एवं आपूर्ति का संतुलन
  17. अर्थशास्त्र एवं अर्थव्यवस्था असंतुलन
  18. अप्रवासी जनसंख्या का सुगम आगमन का मार्ग प्रशस्त, क्योंकि अब आर्थिक एवं सामाजिक तंत्र को ठीक प्रकार से चलने के लिए कार्य करने वाले लोगों की आवश्यकता होगी इसलिए कोई भी आमुख देश बाहर से कार्य करना लोगों की आपूर्ति करेगा।
  19. परिणाम स्वरुप अप्रवासी जनसंख्या में वृद्धि।
  20. जनसंख्या संबंधित विवाद एवं अराजकता
  21. उदाहरण के लिए कैलिफोर्निया/California में हुए नागरिक तथा प्रवासी लोगों के बीच अराजकता भरे देंगे।
  22. वर्तमान में अवैध रूप से रह रहे लोगों के विरुद्ध यूरोप/Europe में धरना प्रदर्शन तथा अराजकता का वातावरण इसके सजीव तथा सटीक उदाहरण है।
  23. इस प्रकार जनसंख्या परिवर्तन से संस्कृति परिवर्तन
  24. संस्कृति परिवर्तन अर्थात राष्ट्र परिवर्तन
  25. राष्ट्र का अस्तित्व हीन हो जाना।
  26. पाकिस्तान बांग्लादेश का सृजन, जोकि हमारे समक्ष वर्तमान का ज्वलंत उदाहरण है, सांस्कृतिक एवं राष्ट्रीय रूप से परिवर्तित जनसंख्या बल के आधार पर ही हुआ था।

 

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  • वैश्विक जनसंख्या वृद्धि दर 0.9 % से 0.95 %है
  • रूस की जनसंख्या प्रतिशत दर -0.43  %  है।
  • अमेरिका की जनसंख्या प्रतिशत दर 1.0  %  है।

  • जनसंख्या अपने आप में एक बल है और जिस राष्ट्र के पास यह बल है यदि वह अपनी जनसंख्या का प्रबंध उचित प्रकार से करता है तो उसको शक्तिशाली बनने से कोई नहीं रोक सकता।
  • वर्ष 1965 भारत की जनसंख्या वृद्धि प्रतिशत दर 2.5% वर्ष 2024 में घटकर 0.9% हो गई है।

 



  • ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर/ Keir Starmer” इस समय वर्तमान में भारत में है तथा आज ब्रिटेन के प्रधानमंत्री की रिश्ता में एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मध्य द्विपक्षी वार्तालाप संपन्न हुआ।
  • जैसा कि हम जानते हैं ब्रिटेन की वार्षिक जनसंख्या वृद्धि दर प्रतिशत 0.7% का है जो उसकी एक असंतुलित वृद्धि दर है और "ब्रिटेन में राष्ट्रवादी आंदोलन/ Right Wing demostration " इस समय अपनी चरम अवस्था में है क्योंकि मूल निवासी और प्रवासी लोगों के मध्य अब-
  1. सुरक्षा
  2. सांस्कृतिक एवं 
  3. वर्चस्व से संबंधित विवाद चल रहे हैं।

  • ऐसे समय में भारत का साथ वहां पर ब्रिटेन को एक आर्थिक सशक्तिकरण उपलब्ध करवाता है जिसके आधार पर वह प्रवासी लोगों की निर्भरता से अपने आप को बाहर निकलने का प्रयास करेगा।
  • वर्तमान स्थिति के आधार पर चाहे कोई भी कारण रहा हो मूल समस्या- 
  1. समाज के द्वारा जनसंख्या संतुलन के प्रति किया गया अनुचित एवं अपराधीक व्यवहार है जो कि मूल कारण बनता है, क्योंकि 
  2. जब हमको अधिक सुविधा में रहने की आदत हो जाती है तब हम दायित्व निर्वहन की उपेक्षा करने लगते हैं। 
  3. जनसंख्या को संतुलित रखना भी राष्ट्र के प्रति समाज का एक दायित्व है 
  4. नहीं तो अंततः संस्कृति परिवर्तन और राष्ट्र परिवर्तन हो जाएगा

Britainजनसंख्या परिवर्तन फिर भी रोक न पाने की विवशता क्यों? 

  • इस तथ्य की हम प्रमाण के साथ बात करेंगे।
  • नीचे मेरे द्वारा एक लिंक उपलब्ध करवाया गया है

 

  • यह लेख यूरोप से प्रकाशित विख्यात समाचार पत्र "द गार्जियन/ The Guardian" का है।
  • इसमें बताया गया है की क्यों राष्ट्रवादी आंदोलन, जिसके अंतर्गत निरंतर विरोध प्रदर्शन के माध्यम से यह मांग की जा रही है कि जो यहां के नागरिक नहीं है उनको इस देश से निकाल दिया जाए, निकट भविष्य में हानिकारक सिद्ध होगी?


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क्योंकि-

  • यूरोप के लोगों को एक आरामदायक जीवन शैली जीने की आदत लग चुकी है
  • इसको इन आंकड़ों के माध्यम से समझते हैं-

कुंवारेपन की आयु/ Lose of Virginity's 

  • जीवन की आयु में वह समय जब कोई लड़का अथवा लड़की प्रथम बार शारीरिक संबंध बनाता/नाती है साधारण शब्दों में जब पुरुष-महिला (लड़का- लड़की) आपस में शारीरिक संभोग करते हैं तब उसे "Virginity lose" कहते हैं।

वैवाहिक वर्ष की औसत आयु/ Average Marriage Age

      

  • आंकड़े बता रहे हैं की कुंवारेपन की आयु यूरोप में 17 वर्ष है जबकि दूसरे चित्र में वैवाहिक वर्ष की औसत आयु यूरोप में 30 वर्ष है।
  • अर्थात भोग एवं वैवाहिक बंधन में दायित्व निर्वहन के मध्य 13 वर्ष का अंतर है।


प्रति एक लाख महिलाओं पर बलात्कार कि दर/ Rate of RAPE CASES on average 100000 women


  • तीसरा चित्र बताता है कि इस 13 वर्ष के अंतर के कारण वहां बलात्कार / Rape Cases के अभियोग अप्रत्याशित है।
  • जबकि भारत  सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश होते हुए भी स्थिर अवस्था में बना हुआ है।
  • अर्थात अभी भी समाज नारी के प्रति एक गरिमा पूर्ण व्यवहार कर रहा है।
  • यही स्थिति अमेरिका (Amerkica), रूस (Russia), जर्मनी (Germany), फ्रांस (France), नॉर्वे (Norway) तथा आइसलैंड (Iceland) अन्य देशों के संबंध में भी देखने को मिलती है। 
  • जो की स्पष्ट संकेत है कि जीवन में रस, भोग, विलासिता का अनुपात अधिक है एवं एक दायित्वपूर्ण जीवन निर्वाह शैली निरंतर कम हुई है।
  • इसका प्रमाण हमें तथ्य के साथ मिलता है कि इन सभी देश और महाद्वीप में यदि आप ध्यान से देखेंगे तो "अश्लील चलचित्र Porn Industry" का व्यापार बहुत बड़े स्तर पर चलता है।
  • तो मूलतः समस्या इनके द्वारा ही जनित है लेकिन अब समस्या दोष मे प्राथमिक रूप से अपने आप को न देखकर प्रवासियों को दिया जा रहा है। 
  • इसका दूसरा पक्षी यह भी है कि वहां पर निरंतर ऐसे अपराधों में वृद्धि हो रही है जो कि यूरोप की मूल संस्कृत में नहीं है तथा जब अन्वेषण किया जाता है तो वहां पर प्रवासी या अवैध रूप से रह रहे लोग सामने आते हैं।
  • तब यही आधार बनता है विरोध प्रदर्शनों का।
  • अब यदि आंदोलन अपनी धार पकड़ लेते हैं तो यूरोप के देशों से अप्रवासी लोगों को हटा दिया जाएगा अब इसके दो परिणाम सामने आएंगे-
  1. प्रथम काम कैसे करें ? क्योंकि काम करने की आदत जनसंख्या के बड़े वर्ग की छूट गई।
  2. दूसरा कौशल की कमी तुरंत वैकल्पिक व्यवस्था में यूरोप के लोगों को कौशल प्रशिक्षण देकर तैयार नहीं किया जा सकता तो जनसंख्या में बहुत तेजी से एक और गिरावट होगी दूसरी ओर काम करने वाले हाथ काम हो जाएंगे।

  • क्योंकि दशकों के "अप्रवासन /Immigration" के दौरान यूरोप के लोगों ने बाहर देश के लोगों को अपने देश में काम करने को लिए बुलाया, क्यों? 
  • क्योंकि जनसंख्या कमी के कारण निरंतर श्रमिक बल अर्थात कठिन श्रमिक के रूप में कार्य करने लोगों की निरंतर कमी हो रही थी 
  • तब उपाय के रूप में दूसरे देश के लोगों को मुख्यतः लैटिन अमेरिका, अफ्रीका एवं एशिया के लोगों को "श्रमिक बल Labour Force" के रूप में बुलाया गया और अब वह वहां पर वहां के स्थानीय श्रमिक बल के रूप में कार्य करते हैं।
  • अब यदि कोई किसी देश में रहकर काम करेगा तो वहां पर अधिकार भी मांगेगा और 
  • यहां से श्रमिक संगठन समूह बने प्रारंभ होते हैं जो की एक शक्ति के रूप में संगठित होकर और अधिक अधिकारों की मांग करते हैं। 
  • ध्यान दें अब यहां पर उनकी जनसंख्या एक जनसंख्या बल के रूप में कार्य करती है जो कि, न्यूटन के नियम के अनुसार, एक समान शक्ति का प्रतिक्रिया बल लगती है।

  • लेकिन दूसरी ओर समाचार पत्र चित्र के माध्यम से निरंतर समझ रहा है, कि

  • यदि जनसंख्या असंतुलन इसी प्रकार चला रहा तो इस शताब्दी के अंत तक जनसंख्या वितरण यूरोप का किस प्रकार होगा और जो संकेत चित्र के माध्यम से वह दे रहे हैं उसमें यूरोप की जनसंख्या संख्यात्मक एवं सांस्कृतिक रूप से परिवर्तित हो जाएगी।
  • जो बात समाचार पत्र के द्वारा कही जा रही है उसका विश्लेषण तुलनात्मक रूप से हम इस चित्र के माध्यम से कर सकते हैं जहां भारत का जनसंख्या पिरामिड तथा यूरोप के जनसंख्या पिरामिड का अंतर स्पष्ट संकेत देता है कि वर्ष 2100 तक यूरोप की जनसंख्या का पिरामिड सीधा एवं ऊपर से अधिक चौड़ा हो जाएगा।
 
  • अब यूरोप के लिए, तथा इसके साथी पश्चिमी जगत के देशों के लिए, यह दो धारी तलवार बन गई है जहां "हां" का भी नकारात्मक प्रभाव है और "ना" का भी

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पुनः-

  • कारण एक ही सुविधा पूरक जीवन शैली ने यूरोप/पश्चिमी जगत के लोगों को जनसंख्या संतुलन के व्यवहार से अलग कर दिया और यही जनसंख्या असंतुलन अब उनके लिए नकारात्मक रूप से कार्य कर रहा है।

भारत ध्यान आकर्षण-

  • गणेश विसर्जन हो या दुर्गा प्रतिमा विसर्जन हम जहां भी देखेंगे जब एक क्षेत्र विशेष में एक अन्य प्रकार की जनसंख्या बहुलता आती है तब वहां अराजकता की स्थिति पैदा हो जाती है। आप संभवत समझ रहे होंगे की संकेत किस ओर है।
  • भारत में कहावत है कि यदि अपने से संबंधित सब कुछ ठीक रखना है तो पहले अपना घर ठीक रखिए
  • तो यदि देश भी ठीक रखना है? तो पहले देश को ही ठीक रखना होगा
  • इसमें सबसे बड़ा बल देश की जनसंख्या है इसलिए हमें अपनी जनसंख्या को संतुलित तथा "अधिशेष लाभांश Dividend Surplus" के साथ रखना होगा 
  • यही समस्त ऊपर बताई गई समस्याओं का मूल समाधान है।

"भारत के पिरामिड की स्थिति अभी यह है इसलिए हमको अभी से सचेत होना होगा कि हम यूरोप या पश्चिम जगत की जनसंख्या असंतुलन की स्थिति में न पहुंचे।"

 

जनसांख्यिकी शीत- 

  • जनसांख्यिकी शीत एक ऐसी अवस्था है जब, 
       एक विवाहित युग्म या विशेष रूप से महिला की प्रजनन दर 2.1 से कम हो जाती है।"

  • एक विवाहित जोड़े के यदि 02 बच्चे होते हैं तब विवाहित जोड़े की मृत्यु के पश्चात दो बच्चों की उपस्थिति जनसंख्या को संतुलित रखेगी।
  • तो फिर 2.1 का आंकड़ा क्यों अपेक्षित है?
       
  • इसका कारण बहुत सुस्पष्ट है क्योंकि एक विवाहित जोड़े के दो बच्चों का होना एक आदर्श स्थिति है जहां पर हम आक्समात होने वाली दुर्घटना को सम्मिलित नहीं कर रहे हैं।
  • अब यदि किसी कारण से किसी बच्चे की हानि हो जाती है और महिला की प्रजनन शक्ति प्राकृतिक रूप से समाप्त हो चुकी है तब संतुलन असंतुलन में परिवर्तित होगा।
  • इसलिए इस दर को 2.1 पर रखा गया है।
  • इस प्रकार किसी बच्चे की आकस्मिक हानि होने पर जनसंख्या को संतुलित रखा जाएगा।
  • जनसांख्यिकी शीत एक ऐसी अवस्था है जब एक लंबे समय के लिए औसत दर के साथ जनसंख्या 2.1 से निरंतर कम स्तर पर वृद्धि करती है, एवं 
  • ऐसी स्थिति में यह निश्चित है कि यह दर निरंतर कम ही होती चली जाएगी एवं वृद्धि की संभावना है सामान्य रूप से यहां नहीं होती है।
  • इस दर को "जनसांख्यिकी संक्रमण" दर कहते हैं जहां पर औसत एवं सामान्य रूप से जनसंख्या में निरंतर परिवर्तन होता रहता है तथा नवीनीकरण की प्रक्रिया चलती रहती है।
  • जब हम यहां पर कहते हैं कि सामान्य रूप से नहीं होती है इसका अर्थ यह है कि समाज जब इस धारा पर चल देता है तो मुड़ना कठिन है।
  • धारा परिवर्तन तभी हो सकता है जब राज्य नीतिगत निर्णय के अंतर्गत आगे आकर प्रयास एवं प्रोत्साहित करे।
  • उदाहरण के लिए विश्व के कई देश भिन्न-भिन्न उपक्रमों के माध्यम से विवाहित जोड़े को प्रोत्साहित करते हैं कि वह अधिक बच्चे पैदा करें।
  • यहां पर हम भारत के प्रदेश "आंध्र प्रदेश/ Andhra Prdesh" का उदाहरण लेते हैं जहां प्रदेश सरकार ने प्रजनन दर को बढ़ाने के लिए तीन दशक पुरानी विधि में संशोधन कर दो बच्चों की नीति को समाप्त कर दिया है तथा अलग-अलग प्रयोजन के माध्यम से प्रोत्साहित किया जा रहा है कि महिलाएं/ विवाहित जोड़ा कम से कम तीन बच्चे पैदा करें जिससे कि प्रदेश की प्रजनन दर जो की 1.7 पर आ गई है उसको पुनर्स्थापित 2.1 एक पर किया जा सके। 
  • उद्देश्य जो हमने नकारात्मक परिणाम इस लेख के प्रारंभ में पड़े हैं उनको सकारात्मक में परिवर्तित किया जा सके।
  


संघ लोक सेवा आयोग ने वर्ष 2024 की परीक्षा में यह प्रश्न पूछा कि-

  • जनसांख्यिकी शीत ( डेमोग्राफिक विंटर) की अवधारणा क्या है? क्या यह दुनिया ऐसी स्थिति की ओर अग्रसर है? विस्तार से बताइए।
  • What is the concept of 'demographic winter'? Is the world moving towards such as situation? Elaborate

 


उत्तर 

ऊपर बताए गए आशय के अनुसार निम्नलिखित बनता है।

  • E=mc2 जहां "m" संगठित द्रव्यमान एवं इसकी मात्रात्मक उपस्थित ऊर्जा की मात्रा को उसी अनुपात में घटती एवं बढ़ती है इसी प्रकार जनसंख्या किसी भी देश की ऊर्जा उत्पादन में वही द्रव्यमान है।
  • जनसांख्यिकी शीत वह अवस्था जब महिला की प्रजनन दर 2.1 से कम हो जाती है लंबे समय तक यह स्थिति बने रहने पर "जनसांख्यिकी संक्रमण" नहीं हो पता एवं जनसंख्या घटना प्रारंभ होगी।
  • रूस, अमेरिका, ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन विकसित देश एवं समाज निरंतर जनसांख्यिकी शीत की अवस्था से जूंझ रहे हैं।
  • "आंध्र प्रदेश" राज्य ने भी अपने तीन दशक पुराने विधि में संशोधन कर तीसरी संतान के लिए अनुरोध किया जा रहा है।
  • दुष्प्रभावों में श्रमिक वर्ग, शैक्षणिक मेधावी छात्र उत्पादन उत्पादकता, राजस्व का सामाजिक योजनाओं पर अधिक व्यय, वृद्ध जनसंख्या, प्रवासी जनसंख्या की वृद्धि, सांस्कृतिक टकराव, मानव संसाधन में कमी एवं अन्य संबंधित संकट उत्पन्न होते हैं।
  • आवश्यकता राज्य नीति प्रायोजित उपक्रम कर सामाजिक मनोस्थितियों में परिवर्तन एवं चेतना का जागरण करने की है क्योंकि यदि जनसंख्या अपने आप में बल है तो इस बल का संयोजन आवश्यक है।

🙏

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