रविवार, 12 अक्टूबर 2025

समुद्री सतह के तापमान में वृद्धि क्या है? यह उष्णकटिबंधीय चक्रवातों का निर्माण को कैसे प्रभावित करता है?-sea surface temperature in hindi-tropical cyclone upsc in hindi-सूर्य का आकार कितना बड़ा है-भूआभ आकृति upsc in hindi-geoid shape meaning in hindi-भूआभ आकृति का चित्र-कोरिओलिस बल क्या है in hindi-कोरिओलिस बल अधिकतम होता है-चक्रवात का निर्माण कैसे होता है-chakrawat ka nirman kaise hota hai-tropical cyclone in hindi-वैश्विक तापन कारण एवं प्रभाव-effect of global warming in hindi-समुद्र की सतह के तापमान में वृद्धि से जुड़े खतरों पर चर्चा upsc

 

अनुक्रमणिका/Index -

  1. पृथ्वी एवं ताप का संबंध
  2. पृथ्वी की भूआभ आकृति एवं उसके परिणाम
  3. कोरिओलिस क्या हैक्यों कोरिओलिस बल भूमध्य रेखा पर शून्य है?
  4. पृथ्वी पर तापांतर का प्रभाव
  5. समुद्र के औसत तापमान में वृद्धि क्यो?
  6. कार्बन संचय/Carbon sequestration?
  7. हरित गैस प्रकार एवं प्रभाव
  8. वैश्विक तापन/Global Warming के मूल प्रमुख कारण
  9. समुद्र में चक्रवात बनने की प्रक्रिया
  10. UPSC उत्तर


  • पृथ्वी की तुलना में सूर्य का आकार 109 गुना अधिक बड़ा है इस प्रकार यदि हम मान लें कि पृथ्वी एक सपाट सतह होती तो 109 गुना बड़ा जो आग का गोला है उस का ताप पृथ्वी पर एक समान होता
       "सामाजिक जीवन का व्यवहार एक यह भी है कि यदि आपका शत्रु आपसे बहुत बड़ा है तो आप पहले ही बचाव के उपाय खोज ले।"
  • सपाट सतह पर पृथ्वी का सबसे बड़ा शत्रु सूर्य का ताप हो सकता था इसलिए पृथ्वी ने अपने आकृति में परिवर्तन करके उस शत्रु को अपना मित्र बनाया और उस मित्र की "ताप छाया" में पृथ्वी "अलग-अलग स्थान पर अलग-अलग तापीय व्यवहार" करती है।

  • हम जानते हैं पृथ्वी की इस आकृति को "भूआभ आकृति" कहते हैं। 

  • पृथ्वी की ध्रुवीय परिधि एवं विषुवत परिधि में 67 किलोमीटर का अंतर आता है और इसके साथ ही पृथ्वी विषुवत रेखा या भूमध्य रेखा पर फूली हुई है एवं ध्रुव पर चपटी है।

  • तो भूआभ आकृति अर्थात पूर्ण रूप से गोलाकार न होकर गोलाकार जैसा दिखना किंतु फिर भी गोलाकार आकृति से भिन्न होना।
  • अब इस भूआभ आकृति के दो महत्वपूर्ण परिणाम पृथ्वी पर हमको मिलते हैं- 
  1. पहला पृथ्वी पर ताप की भिन्नता जिसमें उत्तरी एवं दक्षिणी गोलार्ध में पृथ्वी की विषुवत रेखा से ध्रुव की ओर बढ़ते हुए पृथ्वी के औसत तापमान में निरंतर गिरावट आती है।  
  2. दूसरा इस भूआभ आकृति के कारण पृथ्वी पर कोरिओलिस बल का जन्म होता है जो कि विषुवत रेखा पर शून्य होता है तथा विषुवत रेखा के 5 डिग्री उत्तर एवं 5 डिग्री दक्षिण से प्रारंभ होकर पृथ्वी के ध्रुव पर अधिकतम होता है।
  • परिणाम स्वरूप पवन तथा समुद्र  जल उत्तरी गोलार्ध में अपने दाईं ओर तथा दक्षिणी गोलार्ध में बाईं और मुड़ जाते हैं जबकि वायु धारा उत्तरी गोलार्ध में बाईं ओर एवं तथा दक्षिणी गोलार्ध में दाएं और मुड़ जाती है।
  • परिणाम स्वरूप पृथ्वी पर- 
  1. वायुदाब पेटियां
  2. पवन प्रवाह एवं प्रकार
  3. महासागरीय धारा
  4. वायु धारा तथा 
  5. चक्रवात का निर्माण प्राथमिक रूप से होता है।
  • उष्णकटिबंधीय चक्रवात निर्माण इसी का एक उदाहरण है।


NOTE-

कोरिओलिस क्या है? क्यों कोरिओलिस बल भूमध्य रेखा पर शून्य है?

  • कोरिओलिस बल की उत्पत्ति दो कारणो से होती है 
  1. पहले पृथ्वी की भूआभ आकृति 
  2. दूसरा पृथ्वी का घूर्णन। 
  • भुआव आकृति होने के कारण पृथ्वी की घूर्णन गति पृथ्वी के अलग-अलग स्थान पर भिन्न-भिन्न हो जाती है जिसके परिणाम स्वरूप अलग-अलग स्थान के मध्य गति का अंतर उत्पन्न होता है।
  • गति के अंतर के परिणाम स्वरूप घूमती हुई पृथ्वी पर एक वक्र के परिणाम स्वरूप गति करते समय "विस्थापन/ Deflection" की स्थिति बनती है जोकि पृथ्वी की सतह पर विषुवत रेखा से ध्रुव की ओर चलते हुए एक वक्र के समान कार्य करती है।
  • इसकी सलंग्नता पृथ्वी पर लगने वाले -
  1. केंद्रीय अपसारी/ Centre fugal force एवं 
  2. केंद्रीय अभिसारी बल/ Centre petal force के साथ होती है यह बल भी पृथ्वी के घूर्णन का ही परिणाम है जो कि उसकी भूआभ आकृति होने के कारण उत्पन्न होता है। 
  •  केंद्रीय अपसारी बाल विषुवत रेखा पर तथा केंद्रीय अभिसारी बाल पृथ्वी के ध्रुव पर अपने अधिकतम मांन के साथ लगते हैं। 
  • अर्थात विषुवत रेखा से ध्रुव की ओर गमन करते हुए केंद्रीय अभिसारी बाल शून्य से अधिकतम हो जाता है जबकि केंद्रीय अपसारी बल अधिकतम से ध्रुव पर पहुंचकर शून्य हो जाता है।
  • इसी 
  1. "वक्रीय बल / Curve Force" तथा 
  2. केंद्रीय अपसारी एवं अभिसारी बाल का युग्म पृथ्वी पर कोरिओलिस बल को जन्म देते हैं।
  • इस बल के परिणाम स्वरूप उत्तरी गोलार्ध में पवन एवं जल दाएं हाथ की ओर तथा दक्षिणी गोलार्ध में बाएं हाथ की ओर मुड़ जाते हैं। 
  • विषुवत रेखा पर यह बल शून्य होता है क्योंकि विषुवत रेखा का स्थान सपाट जबकि ध्रुव पर यह बल सर्वाधिक होता है।

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अब विशेष रूप से हम अपने उत्तर को समुद्र के तापमान पर केंद्रित करते हैं।

  • पृथ्वी का अपना एक ऊष्मा बजट है जिसके प्रक्रम में जो ऊष्मा पृथ्वी "लघु तरंग विकिरण" के माध्यम से सौर ऊर्जा के रूप में सूर्य से प्राप्त करती है रात्रि कल में उसी का "दीर्घ तरंग विकिरण" के माध्यम से उत्सर्जन कर देती है एवं परिणाम स्वरूप अपने ऊष्मा-ताप की संतुलित अवस्था बनाए रखती है।
  • इस ऊष्मा बजट के माध्यम से पृथ्वी पर उपस्थित स्थल मंडल एवं जलमंडल अपनी अनुपातिक-आवश्यक ऊष्मा को अवशोषित कर औसत तापमान को निर्धारित करते हैं।
  • इस प्रकार समुद्र अपने औसत तापमान को 20 डिग्री सेंटीग्रेड पर बनाए रखते हैं।
  • समुद्र पृथ्वी पर सौर ऊर्जा का संचय करने वाली सबसे बड़ी राशि है
  • प्राकृतिक प्रणाली के अंतर्गत यह अपने औसत तापमान में वृद्धि नहीं करता है जोकि इसकी सबसे बड़ी योग्यता है एवं प्राकृतिक वरदान हैऔर इसी प्राकृतिक वरदान के परिणाम स्वरूप पृथ्वी पर जलवायु का निर्धारण होता है।
  1. समुद्री तरंग, 
  2. महासागरीय धारा और 
  3. ज्वार भाटा तीन प्रकार से समुद्र इस पृथ्वी पर तापमान का क्षैतिज वितरण कर संतुलन बनाए रखना है।
  • "फरवरी 2024" में वैश्विक औसत समुद्री सतह तापमान 21.6 डिग्री सेल्सियस था। इससे पहले "अगस्त 2023" में उच्चतम स्तर 20.9 डिग्री सेल्सियस का था इस प्रकार हम देख रहे हैं की उच्च तापमान की आवृत्ति में वृद्धि हुई है।
  • औद्योगिक क्रांति पूर्व के तापमान की तुलना में समुद्र के वैश्विक औसत तापमान में 1.02 डिग्री सेंटीग्रेड की वृद्धि हुई है।
  • इसका प्रमुख कारण हरित ग्रह प्रभाव गैसों की वृद्धि परिणाम स्वरूप समुद्र अधिक कार्बन डाइऑक्साइड गैस का अवशोषण कर रहा है जिसकी परिणीति समुद्र के औसत तापमान वृद्धि के रूप में मिल रही है।
  • हम जानते हैं कि हमारे वातावरण की तुलना में समुद्र 1000 गुना अधिक कार्बन डाइऑक्साइड का अवशोषण अपने पास करता है जिसे "कार्बन संचय/ Carbon Sink/ Carbon Sequestration" कहा जाता है।

  • हरित गैस प्रभाव में उत्सर्जित गैस की प्रभाव-उपस्थिति के कारण "दीर्घ तरंग विकिरण ऊष्मा" पृथ्वी के वायुमंडल में ही रुक जाती है परिणाम स्वरूप वायुमंडल की अधिकतम ऊष्मा को समुद्र द्वारा द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है जिसकी प्रतिशत मात्रा 90% कुल मात्रा की है।
  • औसत तापमान वृद्धि में समुद्र की ऊपरी सतह की वृद्धि 63% है जबकि 700 मीटर से नीचे की वृद्धि 30% की है।
  • महासागर "हरित गैस प्रभाव गैस (Green House Gas )" की 90% ऊष्मा को अवशोषित करते हैं।
  1. अत्यधिक वनोन्मूलन/ Deforestation
  2. जैविक ईंधन प्रयोग/ Fossils fuel energy use  पृथ्वी के वातावरण में निरंतर अनुपातिक ऊष्मा का औसत से अधिक मात्रा में वृद्धि कर रहे हैं
  • एक अनुमान के अनुसार पिछले 150 वर्षों के अंतराल पर हमने लगभग वायुमंडल में अतिरिक्त 50% कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन मानवीय गतिविधियों के माध्यम से कर दिया है।
  • हरित प्रभाव गैसों में प्रमुख रूप से -
  1. कार्बन डाइऑक्साइड (CO2),
  2. मीथेन (CH4), 
  3. नाइट्रस ऑक्साइड (NO), 
  4. ओजोन (O3), 
  5. कार्बन फ्लोरोकार्बन (CFC) एवं 
  6. जलवाष्प -H2O हैं।
  • समुद्र में तापमान की विषमता समुद्र के अंदर स्तरीकरण में वृद्धि कर रही है परिणाम स्वरूप समुद्र जल के विभिन्न स्तरों का आपस में मिश्रण नहीं हो पा रहा है या बाधा उत्पन्न हो रही है जिसके परिणाम स्वरूप ऑक्सीजन एवं पोषक तत्वों के स्तर में कमी आ सकती है।
  • इस से सर्वाधिक सर्वप्रथम नकारात्मक रूप से प्रभावित होने वाले में "पादप प्लवक Phytoplanktons" होंगे जो की "समुद्री खाद्य जाल/ Ocean Food Chain" के आधार है।


  • अन्य कारक में यह समुद्र में "अम्लीयकरण/ Acidification" की मात्रा में वृद्धि करते हैं। 
  • लेकिन सर्वाधिक महत्वपूर्ण कारक में यह समुद्र में वाष्पीकरण की दर में लगातार निरंतर वृद्धि कर रहा है तथा यह वाष्पीकरण ही सर्वाधिक महत्वपूर्ण कारण बनता है उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की आवृत्ति में वृद्धि का अर्थात कम समय के अंतराल एवं "दीर्घ कालखंड/ Long Duration Time Period"  के लिए चक्रवात का निर्माण का।

  • कुल मिलाकर हमने प्राकृतिक ऊष्मा चक्र एवं "हरित ग्रह प्रभाव"  की चर्चा करी जिसमें प्रकृति, पृथ्वी चक्र के माध्यम से, समुद्र के औसत तापमान को, कभी औसत से थोड़ा नीचे तथा कभी औसत से थोड़ा ऊपर, जो की सूर्य के उत्तरी और दक्षिणी गोलार्ध में स्थानांतरणों के कारण होता है, के द्वारा बनाए रखती हैं।
  • लेकिन वास्तव में समुद्र तापमान वृद्धि का शीर्षक प्राकृतिक कर्म से न होकर मानवीय कर्म से है जहां "वैश्विक तापन/ Global Warming" इसका कारण बनता है।
 

वैश्विक तापन कारण एवं प्रभाव/ Causes -& Effect of global warming in Hindi

  1. वन उन्मूलन/Deforestaion,
  2. जीवाश्म ईंधन ऊर्जा प्रयोग/ Excess -& Compulsive Fossils Fuel Energy Use,
  3. औद्योगिक गतिविधियां विनियमन की कमी/ Unregulated -& Technology deficient industrial Activities,
  4. सरकारी गैर सरकारी प्रशिक्षण/ Training deficiency in government and the non government system,
  5. सामाजिक उपेक्षा/ Negligence behaviour of society,
  6. उपभोक्तावादी संस्कृति/ Promotion of excessive adaptation of consumerism,
  7. गैर नियोजन नगरियकरण/ Unregulated Town Urban planning
  8. अत्यधिक प्लास्टिक का उत्पादन/ Excessive use of plastics ,
  9. पुनर्चक्रण Recycling की प्रभावी अनुपस्थित/ In effective recycling process
  10. वैश्विक सामरिक एवं युद्ध जनक विवाद परिणाम अत्यधिक ज्वलनशील आयुध का उपयोग/  World strategical conflict and use of ammunition 
  11. परिणाम स्वरूप एक बड़ी संख्या में जनसंख्या विस्थापन/ Conflict driven large scale migration
  12. एवं अन्य कर्म/ Other reasons 
  • से पृथ्वी के औसत तापमान में वृद्धि हुई है।

इस प्रकार समुद्र के गर्म होने के दो कारण सामने आते हैं प्राकृतिक एवं मानवीय या मानव जनित। 


उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के निर्माण पर प्रभाव-

  • उष्णकटिबंधीय चक्रवात निर्माण सदैव समुद्री सतह पर होता है।
  • इनका अक्षांशीय विस्तार विषुवत रेखा से औसत 35 डिग्री उत्तर एवं दक्षिणी अक्षांश तक होता है।
  • समुद्री सतह का तापमान जब 27 डिग्री हो जाता है तब वाष्पीकरण की तीव्र प्रक्रिया प्रारंभ होती है एवं संवहनीय धाराओं का निर्माण समुद्री सतह पर होता है जिसमें ऊर्ध्वाधर गति के साथ समुद्र जल की "गुप्त ऊष्मा/ Latent Heat" वाष्पीकरण के साथ गमन करती है।
  • ऊपर गमन करते हुए संघनन -मेघ निर्माण प्रक्रिया- प्रारंभ होती है एवं मेघ निर्माण होता है।
  • हमने लेख की प्रारंभ में ही अध्ययन किया कि पृथ्वी पर कोरिओलिस बल 5 डिग्री उत्तर से 5 डिग्री दक्षिण के उपरांत ही प्रभाव में आता है।
  • जब यह मेघ निर्माण की पूर्ण प्रक्रिया पृथ्वी की भूआभ आकृति एवं घूर्णन द्वारा जनित कोरिओलिस बल के प्रभाव में आती है तब उत्तरी गोलार्ध में समुद्री सतह पर यह बाएं हाथ की ओर तथा दक्षिणी गोलार्ध में दाएं हाथ की ओर घूमने लगती है इसे ही चक्रवात कहते हैं।
  • चक्रवात की ऊर्जा में समुद्री जल की गुप्त ऊष्मा है और इस ऊष्मा का प्रभाव वाष्पीकरण दर पर निर्भर करता है जितना अधिक वाष्पीकरण उतना अधिक प्रभावी चक्रवात।


  • इस प्रकार जब समुद्र के औसत तापमान में वृद्धि होगी तो निश्चित रूप से कम समय अंतराल पर अधिक तीव्रता के साथ चक्रवात का निर्माण होगा। 
  • इस प्रकार संबंध स्थापित होता है कि समुद्री सतह की ताप वृद्धि चक्रवात निर्माण पर अपना प्रभाव में रखती है।

 

UPSC उत्तर-

  • वर्ष 2024 21.6 डिग्री तापमान के साथ समुद्र के औसत 20 डिग्री तापमान की तुलना में सर्वाधिक गर्म वर्ष रहा जिसका प्रमुख कारण, समस्त अन्य कारणों का समायोजन करते हुए , अंततः वैश्विक तापन है।
  • अधिक तापमान की स्थिति में समुद्री जल का स्तरीकरण मे 700 मीटर की गहराई का जल आवश्यकता से अधिक गर्म होगा परिणाम पृथ्वी विषुवत रेखा से 35 अक्षांश उत्तर-दक्षिण ताप सर्वाधिक होगा
  • हम जानते हैं कि तापमान 27 डिग्री या उससे अधिक होने पर तीव्र वाष्पीकरण की प्रक्रिया प्रारंभ होगी जिसमें संघनन की प्रक्रिया द्वारा बने मेघ कोरिओलिस बल के प्रभाव में चक्रीय व्यवस्था में घूमने लगते हैं।
  • वाष्पीकरण प्रक्रिया में समुद्र जल की गुप्त ऊष्मा ऊर्जा के रूप में कार्य करती है परिणाम यदि समुद्र सतह के वैश्विक तापमान में वृद्धि हो रही है तो निश्चित रूप से यह चक्रवात निर्माण प्रक्रिया को प्रभावित करेगा।

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