गुरुवार, 30 अक्टूबर 2025

भारत में स्मार्ट शहर, शहरी गरीबी और वितरणात्मक न्याय के मुद्दे को कैसे संबोधित करता है? !! स्मार्ट सिटी मिशन क्या है !!नगरीय जनसंख्या प्रतिशत !! पलायन रोकने के उपाय !! भारत में शहरी जनसंख्या का प्रतिशत 2023 !! smart city in hindi !! smart cities mission in hindi !! वितरणात्मक न्याय क्या है !!


अनुक्रमणिका-

  1. आमुख
  2. पलायन एवं उसके प्रमुख कारण
  3. भारत नगरीय जनसंख्या निकट भविष्य के आंकड़े
  4. बढ़ती जनसंख्या एवं कार्यशाली समावेश
  5. स्मार्ट सिटी का शाब्दिक अर्थ
  6. स्मार्ट सिटीज के पांच (05) मानक
  7. निर्धनता निर्धारण का संक्षिप्त ऐतिहासिक पक्ष
  8. स्मार्ट सिटी संबंधित नवीनतम आंकड़े स्मार्ट
  9. सिटी संबंध प्रबंधन के केंद्र बिंदु
  10. UPSC-उत्तर लेखन


  • जनसंख्या संतुलन के लिए यह आवश्यक है कि उसकी जनसंख्या घनत्व का वितरण भी संतुलित रहे लेकिन यदि क्षेत्रीय स्तर पर अवसर एवं विकास उपलब्धता में असमानता है तब यह कम विकसित क्षेत्र से अधिक विकसित क्षेत्र की ओर पलायन का कारण बनता है।

उदाहरण के लिए- 

  • हमारे "मक्खन सिंह" उत्तराखंड के रहने वाले हैं। 
  • मक्खन सिंह ने मेरे को बताया की पहाड़ी गांव लगभग खाली हो चुके हैं क्योंकि विकास का क्षेत्रीय संतुलन नहीं है और उसका प्रमुख एवं मूल कारण उचित अवसरों का उपलब्ध न होना है।  
  • हमारे मक्खन सिंह कहते हैं कि सर यदि उचित अवसर भी उपलब्ध हो तो हम लोग वहीं रुक कर विकास रूपी यज्ञ में अपनी आहुति देंगे लेकिन अवसर तो चाहिए? 🤔


अब-

  • इस उदाहरण के साथ यदि हम पलायन/ Migration के मुख्य कारण को समझो तो यह दो कर्म से होता है-
  • पहला स्वाभाविक (प्राकृतिक) जिसको प्रेरक प्रवास (Pull Factor) कहते हैं जहां एक परिपक्व व्यक्तित्व और अधिक उचित अवसरों की खोज में नगर की ओर पलायन करता है और इस प्रकार का पलायन किसी भी अर्थव्यवस्था में नगरी व्यवस्था विकास के लिए आवश्यक है किंतु 
  • वहीं दूसरे प्रकार के पलायन विवशता जनक है जिसे अपकर्ष प्रवास (Push Factor) भी कहते  जिसके अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में मूलभूत सुविधा एवं अवसरों का अभाव होने के कारण व्यक्ति विवशता में अपने पैतृक निवास एवं स्थान को छोड़कर नगरों की ओर पलायन करता है यहां पलायन का मुख्य कारण 
  1. नियोजन (रोजगार ) के उचित अवसर तथा 
  2. शिक्षा एवं स्वास्थ्य की तुलनात्मक रूप से उचित व्यवस्था है। 

एवं इन्हीं औसत आंकड़ों के आधार पर यह अनुमान लगाया गया है कि-



  • वर्ष 2040 तक भारत की कुल नगरीय जनसंख्या 50% हो जाएगी वर्तमान में यह प्रतिशत 36% है जिसके अनुसार यदि भारत की जनसंख्या इस समय 150 करोड़ की है तब इस गणना के अनुसार वर्तमान की नगर जनसंख्या 54 करोड़ हो जाती है।
  • अब चुकी भारत प्रत्येक वर्ष लगभग 1.5 करोड़ लोग अपनी जनसंख्या में जोड़ देता है तब इस गणना के अनुसार 2040 में भारत की जनसंख्या लगभग 180 करोड़ होगी उस स्थिति में नगरीय जनसंख्या में, 2040 की गणना के आधार पर, लगभग 90 करोड लोग भारतीय नगरों में निवास करेंगे।
  • अब इन आंकड़ों के संदर्भ में यदि हम भारत के वर्तमान नगरों की स्थिति पर दृष्टिपात करते हैं तो हमको हमारे चारों एक एक दृश्य ध्यान में आता है कि नगरों की जनसंख्या एवं व्यवस्था में असंतुलन है
  • यदि
  1. पुणे,
  2. नोएडा ग्रेटर,
  3. नोएडा,
  4. चंडीगढ़ जैसे कुछ नगरों को मानक माने तो सामान्यतः इन नगरों को छोड़कर भारत के अधिकतर नगर अधिक जनसंख्या के बोझ और अव्यवस्था से दबे हुए हैं।


अब-

  • जबकि नगरीय जनसंख्या में वृद्धि होना निश्चित है तो
  • निश्चित है कि ग्रामीण क्षेत्र से नगरीय क्षेत्र की ओर एक बड़ी संख्या में जनसंख्या पलायन होगा जो कि लगभग अप्रत्याशित होगी।
  • इसके साथ ही क्योंकि जनसंख्या के आधार पर वर्तमान नगरों का विस्तार होना भी निश्चित है तब सुनिश्चित यह करना है कि यह विस्तार व्यवस्था पूरक होगा अथवा नहीं?

इस बढ़ती हुई जनसंख्या का समावेश करने के लिए हमको दो स्तरों पर काम करना है -

  1. प्रथम हमको पता है कि जब गांव में जनसंख्या स्थिर रहेगी तब ही नगर की स्थाई एवं सतत वृद्धि होगी ऐसे में आवश्यक हो जाता है कि
  2. नगरों के स्थाईकरण के लिए गांव का स्थाईकरण करना ही होगा।

अब इस स्थिति में हमको 3 दिशा में काम करना होगा-

  1. प्रथम विकास के माध्यम से गांव को अधिक स्थिर करना होगा जिस से कि जनसंख्या पलायन कि गति को धीमा किया जा सके।
  2. दूसरा नवीन योजनाबद्ध नगरों का विकास करना, तथा
  3. तीसरा नगरों की वहन क्षमता (Carrying Capacity - CC) में वृद्धि करनी होगी।

अब यदि यह कार्य कोई नगर या नगरों के समूह कर लेते हैं तो वह नगर अथवा समूह "Smart City" है। यही थी "दक्ष नगर/Smart City" विकसित करने की संकल्पना।


Note-

यदि व्याकरण के अनुसार स्मार्ट शब्द का हिंदी में अर्थ पता करते हैं तो वह "बुद्धिमत्ता" है किंतु स्मार्ट सिटी की संकल्पना नगरों की दक्षता में वृद्धि करना था इसलिए हिंदी में इसका रूपांतरण "दक्ष नगर" के रूप में किया जाएगा।


👉NCERT-भूगोल कक्षा-07 👀


जहां यह तीन स्तर पर काम करेगा-



तब स्मार्ट सिटी का अर्थ एक ऐसा नगर है जो-

  1. अपनी पूर्ण क्षमता के साथ जनसंख्या को समावेशित कर सके
  2. जनसंख्या अर्थात मनुष्य जीवन स्तर में वृद्धि करने वाला हो अर्थात साधारण शब्दों में "स्मार्ट सिटी" अर्थात ऐसे नगर जो कि अपने आप में कौशल से परिपूर्ण है कि वह अधिक से अधिक जनसंख्या का समावेश तार्किकता एवं समाधान के साथ कर सके
  3. जिससे कि व्यक्ति विशेष के जीवन गुणवत्ता में वृद्धि हो सके।

अब शब्दावली "स्मार्ट" का जब यहां पर प्रयोग और उपयोग होता है तब इसका मूल तत्व-

"प्रौद्योगिकी के माध्यम से सीमित संसाधनों में एक सीमित स्थान के अंतर्गत व्यक्ति की जीवन गुणवत्ता तथा उसके कार्य दक्षता में वृद्धि करने से है।"

इस प्रयास में जो नेतृत्व करेगा वह राज्य है लेकिन जो इसको अंतिम परिणीति पर पहुंच कर लक्ष्य प्राप्ति करवाएंगा वह नागरिक है और इस पूरी प्रक्रिया में राज्य और नागरिक के मध्य एक स्वस्थ संवाद इसके प्रसंस्करण को निर्धारित करेगा।

स्मार्ट सिटी के पांच मानक तथा लक्ष्य निर्धारित करे गए थे-

  1. प्रथम स्मार्ट सुशासन / Governance
  2. स्मार्ट अर्थव्यवस्था
  3. स्मार्ट पर्यावरण
  4. स्मार्ट गतिशीलता / Transport Facilities
  5. स्मार्ट जीवन शैली


इस पृष्ठभूमि के साथ वर्ष 2015 में सरकार के द्वारा 100 स्मार्ट नगर बनाने का एक निर्णय लिया गया इस लक्ष्य के साथ कि जून 2024 तक यह सुचारू रूप से कार्य कर सके।


भूगोल अवधारणाएं/ सिद्धांत-Geography Concept


निर्धनता निर्धारण का संक्षिप्त ऐतिहासिक पक्ष-

  • वर्ष 1947 से वर्तमान समय तक नगरीय निर्धनता के निर्धारण में कई प्रकार से संशोधन हो चुके हैं।
  • वर्ष 1960 के दशक तक प्राथमिक मानक "कुल कैलोरी ऊर्जा ग्रहण" करना था अर्थात भोज्य पदार्थों के माध्यम से कोई व्यक्ति कुल कितनी ऊर्जा ले रहा है।
  • वर्ष 1971 में Y.K. Alagh समिति की स्थापना करी गई जिसने पहली बार एक संख्यात्मक मानक निर्धारित करा जिसके अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में वह व्यक्ति जो प्रतिदिन 2400 कैलोरी तथा नगरीय क्षेत्र में 2100 कैलोरी ग्रहण कर रहा है वह गरीबी रेखा के ऊपर है।
  • वर्ष 1993 "लाकडावाला समिति" के माध्यम से संशोधन किए गए।
  • लेकिन महत्वपूर्ण संशोधन वर्ष 2009 में स्थापित "तेंदुलकर समिति" के माध्यम से आया जहां "कैलोरी ग्रहण मानक" को आधार न मानकर एक बृहद स्तर पर -
  1. स्वास्थ्य,
  2. शिक्षा तथा
  3. दूसरी आवश्यक सुविधाओं की उपलब्धता को मानक माना गया।

  • वर्ष 2012 में "रंगराजन समिति" की स्थापना करी गई जिनके मानक के अनुसार-
  1. नगरीय क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन ₹47 तथा
  2. ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन ₹32 से नीचे के व्यक्ति को गरीब माना गया।

  • कालांतर में इस पर बहुत राजनीतिक विवाद हुआ लेकिन आज की स्थिति में-
  1. वर्ष 2022-23 के आंकड़ों के अनुसार इस समय नगरी निर्धनता 11.28% थी जो
  2. वर्ष 2024 के आंकड़े के अनुसार 4.09% पर आ चुकी है अर्थात देश में निर्धनता निरंतर कम हो रही है।


"दक्ष नगर/ Smart Cities" के 11 वर्ष-

  • भारत सरकार के द्वारा उपलब्ध कराए गए नवीनतम आंकड़ों के अनुसार-
  • 25 जून 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा "दक्ष नगर मिशन/ Smart Cities Mission" प्रारंभ किया गया
  • जिसका मूल उद्देश्य है भारत के 100 नगरों में रहने वाले भारत वासियों की जीवन गुणवत्ता में एक प्रभावी तथा सकारात्मक सुधार करना था।
  • यह सुधार-
  1. प्रभावशाली सेवा उपलब्धता,
  2. प्रभावी अवसंरचना विस्तार तथा
  3. सतत समाधान के माध्यम से किया जाना था।

इसके लिए लक्षित किया गया -

  1. आर्थिक वृद्धि/ Economic Growth,
  2. समावेशी वातावरण/ Inclusive Environment तथा
  3. सततता/ Sustainability.

जिसके लिए आवश्यक था कि-
  1. आवास,
  2. परिवहन,
  3. शिक्षा,
  4. स्वास्थ्य तथा
  5. मनोरंजन का विस्तार किया जाए।
  • इस लक्ष्य के साथ की जो भी स्थान उपयोग में लिया जा रहा है वह पर्यावरण की दृष्टि से उचित हो ताकि पर्यावरण के साथ सामंजस्य बना रहे।

इस प्रकार लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कुल-



परियोजना के मुख्य ज्ञान बिंदु केंद्र निम्नलिखित है-


  1. एकीकृत निर्देशन तथा नियंत्रण केंद्र - अब प्रत्येक सरकार नागरिकों की जनसुनवाई के लिए एक निश्चित केंद्र स्थापित करती है। 
  2. सार्वजनिक सुरक्षा - यदि उत्तर प्रदेश का उदाहरण ले तो यह सर्वाधिक पुलिस बल भरती करने वाले राज्य में एक अग्रणी राज्य है जहां "सार्वजनिक सुरक्षा गुणवत्ता" अब राष्ट्रीय उदाहरण का विषय है।
  3. जलापूर्ति- हर घर जल जहां स्वच्छ एवं पीने योग्य जलापूर्ति नगर निगम के माध्यमों से की जा रही है।
  4. सार्वजनिक स्थल विकास - पार्क का विकास तथा उनमें व्यायाम संबंधी उपकरण राज्य सरकारों की ओर से लगाई जा रहे है।
  5. मल व्यवस्था- स्वच्छ भारत मिशन
  6. ठोस अपशिष्ट प्रबंधन - सरकार निरंतर सार्वजनिक सूचनाओं के माध्यम से ठोस अपशिष्ट प्रबंधन में निरंतर संदेश का प्रसार करती है कि गीला कचरा एवं सूखा कचरा को अलग कर ही उसका निस्तारण करें। 
  7. परिवहन - मेट्रो (Metro), मोनोरेल ( Mono Rail), नवीन बस स्थानक (Bus Stand ) एवं विमानपत्तन (Airport ) का विकास इसी दिशा में किया गया कार्य है।
  8. शिक्षा - सरकार के द्वारा अनेक प्रकार से शिक्षा प्रावधान के लिए योजनाएं इसी दिशा में किए गए कार्य हैउदाहरण के लिए Private School में गरीब वर्ग के बच्चों के लिए 25% सीट का आरक्षण।
  9. स्वास्थ्य- प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तथा प्रत्येक जिले पर एक मेडिकल कॉलेज की स्थापना स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधार कर "स्मार्ट सिटी" को गति देने की एक प्रकल्प योजना है।


अब यदि इन तथ्यों के आधार पर हम निष्कर्ष निकालने का प्रयास करें तो -

  1. प्रत्येक सुविधा सृजन में निवेश किया जाएगा
  2. जिसके लिए मूलभूत अवसंरचना विकास आवश्यक है
  3. अंततः प्रत्येक प्रकार की अवसंरचना विकास में मानव पारिश्रमिक बल की आवश्यकता होगी और
  4. यह पारिश्रमिक बल नगरीय क्षेत्र में रहने वाले निम्न आय वर्ग से ही आएगा
  5. सेवा के पारिश्रमिक के रूप में उनको अपना पारिश्रमिक अर्थात मेहनताना मिलेगा तथा
  6. यह धनराशि अर्थात पैसे उनकी गरीबी को दूर करने में सहायक होंगे
  7. इस प्रकार प्रत्येक वर्ग और प्रत्येक स्तर पर इस निवेश की गई लिए धनराशि का वितरण होगा।

उदाहरण स्वरूप-

  1. सीमेंट उद्योग में काम करने वाले व्यक्ति को उसका पारिश्रमिक मिलेगा,
  2. लोहे की फैक्ट्री में काम करने वाले व्यक्ति को उसका पारिश्रमिक मिलेगा,
  3. माल ढुलाई करने वाले व्यक्ति को उसका पारिश्रमिक मिलेगा और
  4. इस प्रकार अनेक सेवाओं में कार्य करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को उसका पारिश्रमिक मिलेगा
  5. अर्थात जो धन-पूंजी निवेश करी गई है वह "अनुपातिक समान रूप" से सबके बीच में वितरित होगी
इस प्रकार स्मार्ट सिटी संकल्पना "वितरणात्मक न्याय" के माध्यम से निर्धनता (गरीबी) को दूर करने में एक महत्वपूर्ण उपकरण सिद्ध होती है।

UPSC-उत्तर लेखन

  • जनसंख्या अपने आप में बल है यदि इसका संवर्धन उचित प्रकार से होता है तो बल और अधिक प्रभावशाली होगा। "दक्ष नगर/ स्मार्ट सिटीज (Smart City)" की संकल्पना इस संवर्धन का अगला क्रम है जहां जीवन को गुणवत्तापरक बनाकर सामाजिक एवं आर्थिक न्याय को सुनिश्चित किया जाता है।
  • भारत सरकार के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार 1.6 लाख करोड़ की धनराशि कुल 8067 परियोजनाओं में निवेशित करी गई है तथा सफलता प्रतिशत 94% कर रहा है।
  1. सुशासन,
  2. अर्थव्यवस्था,
  3. पर्यावरण,
  4. गतिशीलता तथा
  5. जीवन शैली के उद्देश्य से निवेशित धनराशि के माध्यम से उच्च कोटि की नवीनतम अवसंरचना, परिवहन, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं अन्य संबंधित पक्ष सुद्रण किए जाएंगे
  • परिणाम स्वरूप यहां निवास करने वाले नागरिकों को इनके निर्माण के लिए उचित नियोजन के अवसर निर्धनता उन्मूलन का कार्य करेंगे एवं राज्य की नीति सम्मत एवं नियोजन से प्राप्त सेवाएं अंतिम लक्षित परिणाम के रूप में न्यायिक वितरण में परिलक्षित होगी।


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गुरुवार, 16 अक्टूबर 2025

जलवायु परिवर्तन और समुद्र स्तर में वृद्धि कई द्वीप देश के अस्तित्व को कैसे प्रभावित कर रही है? उदाहरण के साथ चर्चा कीजिए-2025-150-kiribati in hindi-समुद्री जलस्तर क्या है-बढ़ते समुद्र जलस्तर के उपाय-समुद्र स्तर में वृद्धि-sea level rise in hindi-existence of many island nations in hindi-sea level rise in hindi-sea level change in hindi-जलवायु परिवर्तन के प्रमुख कारण कौन से हैं-समुद्र के स्तर में वृद्धि के कारणों और इसके परिणामों की व्याख्या करें-climate change reason in hindi-global warming reason in hindi-global warming climate change and possible measures in hindi

 


अनुक्रमणिका-

  1. तीन द्वीप देश के उदाहरण
  2. वैश्विक तापमान वृद्धि का औद्योगिक ऐतिहासिक पक्ष।
  3. समुद्री जल स्तर क्या है?
  4. वैश्विक तापन जलवायु परिवर्तन (Global warming Climate change Reasons) कारण
  5. संबंधित आंकड़े
  6. कारण एवं परिणाम
  7. UPSC उत्तर



  • किरिबाती/ Kiribati यह एक छोटा सा द्वीप देश है ऑस्ट्रेलिया के निकट इस देश ने अफ्रीका के द्वीप देश फिजी/ Fiji में एक नई द्वीप भूमि खरीदी है कारण सिर्फ एक "बढ़ते समुद्र जलस्तर (Sea level Rise/ Sea level change)" के कारण इसका वर्तमान द्वीप डूब रहा है।


   

  • यह दूसरा उदाहरण मालदीप/Maldives का है जिसने वर्ष 2009 में समुद्र के अंदरअपनी कैबिनेट की बैठक (Cabinet Meeting) करी कारण पुनः वही- बढ़ते समुद्री जलस्तर के कारण मालदीप डूब रहा है तो इस बैठक के माध्यम से विश्व को संकेत दिया कि हमारे अस्तित्व पर संकट है और भविष्य में आप लोग भी डूबेंगे।
      

  • तुवालु/ Tuvalu ऑस्ट्रेलिया के निकट ओशियानिया/ Oceania में एक द्वीप देश है जिस पर बढ़ते समुद्र जलस्तर के कारण अस्तित्व का संकट उत्पन्न हो गया है। 


तीन देश संकट एक क्योंकि कारण एक, क्यों-

  • मानविकृत वैश्विक तापन के कारण समुद्र जलस्तर मे वृद्धि परिणाम देश समुद्र जल मग्न हो रहे हैं अर्थात समुद्र में डूब रहे हैं।
  • प्रथम औद्योगिक क्रांति वर्ष 1760 से प्रारंभ होकर वर्ष 1840 तक चली जहां इसका प्रमुख केंद्र ब्रिटेन देश रहा। 
  • औद्योगिक क्रांति अर्थात जहां "अर्थव्यवस्था कृषि अर्थव्यवस्था/ Agriculture Economy" एवं "हथकरघा ( हाथ से किए जाने वाले कार्य/  Handicraft)" अर्थव्यवस्था से "औद्योगिक अर्थव्यवस्था/ Industrial Economy" में परिवर्तित होती है और इस प्रकार अर्थव्यवस्था में "औद्योगिकरण/ Industrialisation" क्षेत्र का एक नया युग प्रारंभ होता है।
  • इस औद्योगिक क्रांति को करने के लिए दो महत्वपूर्ण वस्तुएं या साधन आवश्यक थे -
  1. प्रथम ईंधन एवं उसके प्रकार तथा 
  2. दूसरा खनिज संपदा प्रमुख रूप से लोहा। 
  • औद्योगिक इकाई स्थापना के साथ ही उसमें बड़ी मात्रा में ईंधन (जीवाश्म ईंधन/ Fossils Fuel) को जलाने का कार्य किया गया।
  • परिणाम स्वरूप आज जब हम वैश्विक तापन की चर्चा करते हैं तो यह वही जीवाश्म ईंधन था जिसको आज हम वैश्विक तापन का प्रमुख कारण मानते हैं। 
  • औद्योगिक क्रांति के स्तर से यदि गणना प्रारंभ करें तब समुद्र का जलस्तर 20 से 25 सेंटीमीटर के मध्य अर्थात 8 से 10 इंच वृद्धि कर चुका है।


Note- 

प्रश्नसमुद्री जलस्तर क्या है?

  • समुद्री जलस्तर की ऊंचाई को शून्य माना गया है क्योंकि हम जानते हैं जल का स्वभाव अपने आप को समतल रखना है
  • इसलिए संपूर्ण पृथ्वी पर पृथ्वी जलीय सतह, जिसका भाग समुद्री सतह के रूप में पाया जाता है, अपने आप को समतल रखती है अर्थात शून्य "00" मीटर की ऊंचाई।

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वैश्विक तापन (Global Warming Reason) जलवायु परिवर्तन (Climate Change Reason) के प्रमुख कर्म/ कारणों में -

  • प्रकृति के प्रति अमानवीय व्यवहार 
  • जीवाश्म ईंधन का अनुपात से अधिक मात्रा में उपयोग एवं प्रयोग 
  • परिवर्तनशील जीवन शैली में "उपभोक्तावादी व्यवहार की वृद्धि ( Increased Consumerism behavior)" जहां हम आवश्यकता एवं अनुपात से अधिक संसाधनों का भोग कर रहे हैं। 
  • "परिवर्तित भोजन व्यवस्था/ Changing food Habit" एवं उसके संस्कार जहां पृथ्वी पर मांसाहार दिन प्रतिदिन वृद्धि कर रहा है।
        एक अनुमान के अनुसार अमेरिका का प्रत्येक नागरिक 1 वर्ष के अंतराल पर लगभग 118 किलोग्राम मांस का सेवन करता है एवं अन्य पश्चिमी देशों की स्थिति भी लगभग इसी दिशा में है। 
  • वैश्विक राजनीतिक नेतृत्व की अपरिपक्वता जिसमें शब्द अधिक तथा संबंधित कार्य एवं उसके परिणाम न्यूनतम है। 
  • अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं का प्रभावकारी रूप में असफल होना, क्योंकि "पेरिस जलवायु समझौता / Paris agreement" लगभग खंडित हो चुका है।
  • समाज का इस दिशा कार्य के लिए केवल राज्य/ सरकारों पर निर्भर होना। 
  • शिक्षा का केंद्री एवं व्यवसायीकरण जहां पर्यावरण की शिक्षा को विकास विरोधी बनाकर उसको निम्न स्तर पर रखा गया है। 


आंकड़ों के माध्यम से समझ विकसित करना (Global warming climate change and possible measures ) -

  • वर्तमान में वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर या मानक 280 कण प्रति 10 लाख  (PPM)से बढ़कर 413 कण प्रति 10 लाख  (PPM) पर पहुंच गया है इसको आप इस प्रकार समझिए कि हमने अपने वायुमंडल में औद्योगिक क्रांति के समय से आज वर्तमान स्थिति तक लगभग 50% अधिक कार्बन डाइऑक्साइड- CO2 जोड़ दी है और यह पूर्णत मानव निर्मित है।
  • अब प्राथमिक सुधार के रूप में यदि हमको वायुमंडल को और उसकी जलवायु को पुनर्स्थापित करना है तब 21वीं सदी के अंतर्गत यह संकेंद्रण अधिकतम 350 कण प्रति 10 लाख होना चाहिए तब वैश्विक तापमान में स्थिरता आएगी
  • उसके बाद अगले चरण में हम इसको घटाने का प्रयास करेंगे। 
  • अर्थात प्रथम चुनौती पहले चरण में वैश्विक तापन को स्थिर करने की है। साधारण शब्दों में अब यहां से और अधिक वृद्धि नहीं करनी है एवं इसको धीमे-धीमे घटाते हुए 350 के स्तर पर लाना है।
  • अभी भी विश्व की कुल ऊर्जा में लगभग 80% ऊर्जा का प्राथमिक स्रोत जीवाश्म ईंधन है। 


वैश्विक तापमान/ समुद्र के स्तर में वृद्धि के कारणों और इसके परिणामों की व्याख्या - 

  • पृथ्वी के औसत तापमान में वृद्धि 
  • हिमनद का पिघलना 
  • पिघले हुए पानी का एकत्रीकरण समुद्र में होना 
  • उसमें भी अधिक मात्रा में विषुवतीय क्षेत्र में होना।
  • पृथ्वी पर औसत रूप से समुद्र के जलस्तर में वृद्धि तथा प्रमुख रूप से विषुवतीय क्षेत्र के समुद्र जलस्तर में अधिक वृद्धि।
  • विषुवत क्षेत्र पर पृथ्वी का सर्वाधिक तप होने के कारण समुद्र के प्रारंभिक 700 मीटर के जल का अधिक हल्का होना। 
  • परिणाम स्वरूप जल की सांद्रता/ सघंंनता में अनापेक्षित तथा प्रकृति प्रतिकूल परिवर्तन।
  • समुद्र के जल का स्तरीकरण होना परिणाम स्वरूप समुद्री जल के मिश्रण प्रक्रिया में अवरोध उत्पन्न होना। 
  • इस कारण से संबंधित जल के माध्यम से पृथ्वी पर ऊर्जा का वितरण बाधित होना। 
  • अर्थात अंततः पृथ्वी के तापीय संतुलन में असंतुलित स्थिति का निर्माण होना।
  • वनस्पति पर नकारात्मक प्रभाव 
  • वन्य जीवन पारिस्थितिकी तंत्र का विघटन 
  • कृषि का कम उपजाऊ होना 
  • कृषि आधारित अर्थव्यवस्था का नकारात्मक परिवर्तन 
  • अर्थात विनिर्माण क्षेत्र का स्थाई अवसान हो जाना 
  • अंततः सेवा क्षेत्र का ध्वस्त होना एवं आर्थिक चक्र का विनाश इसके निश्चित परिणाम है। 
  • द्वीप देश पर बढ़ते समुद्री जल स्तर का प्रभाव-
  • जलस्तर के वृद्धि अर्थात अधिक भूमि का जल मग्न होना साधारण शब्दों में भूमि की कमी। 
  • तटीय क्षेत्र में तापमान परिवर्तन अर्थात वर्षा का अनियमित होना। 
  • अधिक चक्रवात  (Cyclone)की आवृत्ति एक न्यूनतम काल खंड पर। 
  • उच्च जलस्तर अर्थात मैंग्रोव/ समुद्र तटीय वनस्पति की जड़ों का समुद्र में जल मग्न हो जाना तो वनस्पति अपघटन। 
  • उच्च जल स्तर अर्थात समुद्र की सतह में प्रकाश की कमी तब प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया बाधित परिणाम स्वरूप प्रमुख रूप से प्रवाल भित्ति विरंजन (Coral Bleaching) एवं समस्त समुद्र का पारितंत्र नकारात्मक से प्रभावित।
  • प्राथमिक रूप से मछलियों की कमी तब तटीय क्षेत्रों में भोजन आपूर्ति एवं अव्यवस्थित बाधित,  सरल शब्दों में भोजन की कमी
  • वनस्पति अपघटन अर्थात तटीय वन्य जीव नकारात्मक से प्रभावित 
  • प्रभावित क्षेत्र में पारितंत्र ऊर्जा (Ecosystem Energy) बाधित और इस प्रकार पारितंत्र का विघटन (collapsing/ collateral damage in ecosystem). 
  • कृषि योग्य कम भूमि अर्थात उत्पादन एवं उत्पादकता दोनों में कमी 
  • परिणाम स्वरूप किसान की जेब में धन की कमी तब अर्थव्यवस्था में धन के विकेंद्रीकरण  (Decentralization)की कमी। 
  • व्यक्ति, समूह तथा समाज में भय की स्थिति उत्पन्न होना। 
  • भय की स्थिति में सदैव संसाधनों का दोहन प्रारंभ होता है तथा साथ ही संसाधनों के लिए संघर्ष में वृद्धि 
  • परिणामस्वरूप समाज में अराजकता का वातावरण। 
  • अपराध में वृद्धि 
  • आर्थिक एवं सांस्कृतिक विनाश अंततः सभ्यताओं का विनाश। 

       "जब यह सारे काम एक ऐसे देश में होंगे जिसके चारों ओर समुद्र तट हैं तो वह प्रथम प्रभावित देश, समाज तथा सभ्यता होगी।" 
  • समग्र साधारण शब्दों में समझे तो एक देश समाप्त हो जाएगा क्योंकि जो भी द्वीप देश है -
  1. भूमि क्षेत्र, 
  2. समाज संख्या तथा 
  3. अर्थव्यवस्था की दृष्टि से छोटे देश है इसलिए उनकी इस नकारात्मक परिवर्तन को ग्रहण करने की क्षमता भी न्यूनतम होगी।

इतिहास प्रत्यक्ष प्रमाण है कि-

  • जब-जब संघर्ष हुआ है तो जो कम शक्तिशाली है उसका विनाश पहले हुआ है।
  • इसलिए इन द्वीप देशो को बचाने और उनको संरक्षित करने का प्रथम दायित्व उन संपन्न देश एवं अर्थव्यवस्थाओं का है जो कि इस वैश्विक तापन और बढ़ते समुद्र जल स्तर के लिए प्राथमिक रूप से उत्तरदाई है।


बढ़ते समुद्र जलस्तर के उपाय-

  • जो भी समस्त कारण इस जल स्तर की वृद्धि के होने के ऊपर बताए गए हैं उनका निवारण ही इसका उपाय है।



प्रश्न-

  • जलवायु परिवर्तन और समुद्र स्तर में वृद्धि कई द्वीप देश के अस्तित्व को कैसे प्रभावित कर रही है? उदाहरण के साथ चर्चा कीजिए।
  • How are climate change and the sea level rise affecting the very existence of many Island Nations? Discuss with examples ( in Hindi )

उत्तर-

  • प्रथम औद्योगिक क्रांति उपरांत समुद्र जलस्तर में 20 से 25 सेंटीमीटर की वृद्धि समग्र कारणों के साथ अंतिम परिणाम वैश्विक तापन वृद्धि का हैं।
  • इंडोनेशिया की नवीन राजधानी नुसंतारा, मालदीप कैबिनेट की समुद्र में बैठक, कीरीबाती द्वीप देश के द्वारा फिजी में नवीन भूमि अधिग्रहण या तुवालु देश पर अस्तित्व का संकट सभी एक ही कारण जनित है समुद्र जल स्तर में वृद्धि।
परिणाम-
  1. तटीय वनस्पति अपघटन
  2. वन्य जीव विविधता की कमी
  3. घटती कृषि उत्पादन एवं उत्पादकता
  4. औद्योगिक गतिविधियों के लिए कच्चे माल की कमी
  5. सेवा क्षेत्र का विघटन
  6. आर्थिक विषमताएं
  7. भूमि की कमी, 
  8. अराजकता अपराध की वृद्धि
  9. अर्थव्यवस्था का असंतुलन चक्र।
  • वैश्विक समुद्र जलस्तर वृद्धि प्राथमिक रूप से द्वीप देशों को प्रभावित करना प्रारंभ कर चुका है।
  • जब पेरिस जलवायु समझौता लगभग विखंडित हो चुका है तब अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं, सरकार तथा समाज को एक समग्र दृष्टि के साथ विचार करना होगा कि अब समाधान क्या हो सकता है? 

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