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भारत की भौगोलिक स्थिति
- यदि हम भारत को ध्यान से देखें तब भारत की स्थिति प्रधान मध्यान रेखा के आधार पर पूर्व की ओर तथा विषुवत रेखा के आधार पर उत्तरी गोलार्ध में है।
- इस प्रकार भारत देश उत्तरी एवं पूर्वी गोलार्ध में स्थित है।
कर्क रेखा
- भूमध्य रेखा से 23.5 डिग्री उत्तरी गोलार्ध में स्थित रेखा को कर्क रेखा कहते हैं।
कर्क रेखा प्रदेश
- कर्क रेखा भारत के ठीक मध्य से होकर निकलती है।
- इस प्रकार यह भारत के 8 राज्यों से गमन करती है।
- पश्चिम दिशा से प्रारंभ करते हुए
- गुजरात
- राजस्थान
- मध्य प्रदेश
- झारखंड
- छत्तीसगढ़
- पश्चिम बंगाल
- त्रिपुरा एवं
- मिजोरम राज्य है।
- भारत में 17 नगरों से होकर निकलती है।
- माही एकमात्र ऐसी नदी है जो कि रेखा से दो बार होकर निकलती है।
- प्रथम बार मध्य प्रदेश में एवं दूसरी बार गुजरात राज्य में।
- त्रिपुरा राज्य का उदयपुर नगर कर्क रेखा का निकटतम नगर है जबकि मध्य प्रदेश राज्य की राजधानी भोपाल निकटतम कर्क रेखा की राजधानी है।
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अक्षांश विस्तार
- अक्षांश रेखाओं के आधार पर भारत की समुद्री सीमा उत्तरी गोलार्ध में 6 डिग्री 45 मिनट पर इंदिरा पॉइंट से प्रारंभ होती है
- यह भारत की समुद्री सीमा का प्रारंभिक अक्षांश है अर्थात भारत यहां से हिंद महासागर में प्रारंभ होता है।
- इसके बाद उत्तरगामी होते हुए जब हम 2 डिग्री अक्षांश उत्तर की ओर चलते हैं तब भारत की मुख्य भूमिका पहुंचते हैं।
- मुख्य भूमि की सीमा अर्थात कन्याकुमारी यह बिंदु कन्याकुमारी (केप कोमोरिन) है जिसका अक्षांश 8 ° 4 ' उत्तर का है।
- कन्याकुमारी भारत के तमिलनाडु राज्य में स्थित है।
- हिमालय की ओर 3214 किलोमीटर चलते हुए हमको भारत भूमि का अंतिम बिंदु "इंदिरा कोल" के नाम से मिलता है।
- भारत का विस्तार 37° 6 मिनट उत्तरी अक्षांश पर स्थित इंदिरा कोल तक होता है।
- यह स्थान काराकोरम पर्वत श्रंखला के "सियाचिन मुज़ताग" के पर्वतीय क्षेत्र मिलता है जोकि सियाचिन हिमखंड क्षेत्र का भाग।
- वर्तमान में यह क्षेत्र लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश के अंतर्गत आता है तथा क्षेत्र में "इंदिरा कॉल पश्चिम" नाम का पर्वतीय पास (अतः पर्वतीय मार्ग) है जिसकी ऊंचाई 5988 मीटर है।
- इस बिंदु के निकट भारत / INDIA,पाकिस्तान/ Pakistan और चीन/ China की सीमा रेखा आपस में जाकर मिलती है।
- इसका नामकरण वर्ष 1912 में माता लक्ष्मी के एक उपनाम के आधार पर किया गया।
- देशांतर रेखा के आधार पर पृथ्वी की भूमि 68 डिग्री 7 मिनट गुजरात राज्य के कच्छ जिले के गुहार मोती नामक स्थान से प्रारंभ होकर 97 डिग्री 25 मिनट अरुणाचल प्रदेश के कीबिथू स्थान तक होती है।
- Cape को हिंदी भाषा में "अंतरिप" कहते हैं अर्थात विशेष रूप से यह कहना उचित नहीं होगा कि कन्याकुमारी Cape Comorin एक ही स्थान।
- क्योंकि "अंतरिप" एक तटीय स्थलाकृति है जो की खाड़ी की छोटी रचना होती है।
- जहां भूमि मुख्य समुद्री स्थान से स्थल में अंदर की ओर जाती हुई प्रतीत होती है।
देशान्तर विस्तार
- देशांतर रेखा के आधार पर भारत भूमि क्षेत्र का विस्तार "68 डिग्री 7 मिनट" गुजरात राज्य के कच्छ जिले के "गुहार मोती" नामक स्थान से प्रारंभ होकर 97 डिग्री 25 मिनट "अरुणाचल प्रदेश के कीबिथू" स्थान तक होता है।
देशांतर रेखा के आधार पर समय विभाजन
- पृथ्वी पर कुल देशांतर रेखाओं की संख्या 360 है एवं पृथ्वी की घूर्णन गति के आधार पर एक देशांतर रेखा से दूसरी देशांतर रेखा तक की दूरी, भूमध्य रेखा पर, तय करने के लिए 4 मिनट का समय लगता है।
- इस प्रकार पृथ्वी 24 घंटे में अपना एक चक्र पूरा करते हुए 360 देशांतर रेखाएं अर्थात 360 डिग्री घूम जाती है।
- भारत की देशांतर रेखाओं का विस्तार पूर्वी गोलार्ध में 68 डिग्री 7 मिनट पूर्व से प्रारंभ होकर 97 डिग्री 25 मिनट पूर्व तक रहता है।
- इस प्रकार समय की एकरूपता रखने के लिए दोनों के ठीक मध्य की रेखा "82 डिग्री 30 मिनट पूर्व" को भारत की मानक समय रेखा चुना गया।
भारत के पड़ोसी देश
- पश्चिम दिशा से प्रारंभ करते हुए भारत के पड़ोसी देश जिन के साथ भारत की स्थलीय सीमा है क्रमशः
- पाकिस्तान, अफगानिस्तान, चीन, नेपाल, भूटान, म्यानमार, बांग्लादेश एवं समुद्री सीमा में श्रीलंका एवं मालदीप है।
भारत का भौगोलिक विभाजन
- भौतिक विभाजन की दृष्टि से भारत को निम्नलिखित भौगोलिक क्षेत्रों में विभाजित किया गया है -
- उत्तर का पर्वतीय क्षेत्र
- दक्षिण का पठार अथवा प्रायद्वीपीय क्षेत्र
- उत्तर के मैदान एवं
- पश्चिम के मरुस्थलीय क्षेत्र तथा
- तटीय क्षेत्र एवं दीप समूह।
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हिमालय पर्वत श्रृंखला
- निकटवर्ती भूमि से तीव्र ढाल वाला ऊपर उठा हुआ वह भाग जिसका शीर्ष त्रिकोण आकार है तथा जिसकी ऊंचाई 600 मीटर से अधिक है पर्वत कहलाता है।
- जब अनेक पर्वत एक रेखीय रूप में व्यवस्थित होते हैं तब पर्वत श्रंखला कहते हैं ।
- जब अनेक पर्वत श्रृंखलाएं एक दूसरे के समानांतर व्यवस्थित होती हैं तब इसे पर्वतीय तंत्र कहते हैं।
- इनका विस्तार एक वृहद क्षेत्र में होता है।
- उदाहरण के लिए भारत की हिमालय पर्वत श्रृंखला एक पर्वतीय तंत्र का उदाहरण है।
- इसके साथ ही यूरोप की
- अल्प्स पर्वत श्रंखला तथा दक्षिण अमेरिका महाद्वीप की
- एंडीज पर्वत श्रंखला भी पर्वतीय तंत्र का उदाहरण है।
- इस प्रकार हिमालय पर्वतीय श्रृंखला तंत्र है जिसमें समानांतर तीन पर्वत श्रंखला स्थित है।
- प्रथम वृद्ध हिमालया जिसे हिमाद्री भी कहते हैं।
- इसका मूल कारण वर्ष भर हिमनद हसे ढके रहना होता है।
- हिमाद्रि की औसत ऊंचाई 6000 मीटर की है।
- हिमाद्रि के दक्षिण में हिमाचल पर्वत श्रृंखला या मध्य हिमालय पर्वत श्रृंखला ।
- हिमालय के प्रमुख पर्यटन स्थल जैसे कि
- शिमला
- मनाली एवं
- मसूरी इसी पर्वत श्रंखला पर स्थित है इसकी औसत ऊंचाई 3800 मीटर से 4500 मीटर की है।
- दक्षिणतम पर्वत श्रृंखला जिसे हम बाह्य हिमालय अथवा शिवालिक कहते हैं, स्थित है जिस की औसत ऊंचाई 900 से 1500 सौ मीटर की है।
- हिमालय विश्व की नवीनतम वलित पर्वत श्रंखला अथवा पर्वतीय तंत्र है एवं वर्तमान समय तक गतिरोध बल सम स्थिति में न होने के कारण इसकी ऊंचाई निरंतर बढ़ रही है।
उत्तर के मैदान
- हिमालय के दक्षिण में स्थित उत्तर के विशाल मैदान हैं जिनका निर्माण हिमालय से आने वाली नदी तंत्र के द्वारा लाए गए अवसादो के निक्षेपण से हुआ है इसी कारण से इनको
- सिंधु-गंगा- ब्रह्मपुत्र के मैदान भी कहते हैं।
👉समसामयिक विश्लेषण-USA-&-उत्तरी अमेरिका-North AMERICA-लिंक-पृष्ठ👀
जलोढ़ निक्षेपण
- हिमालय की नदियों के द्वारा लाए गए अवसाद का निक्षेपण जब उत्तर केमैदानी क्षेत्र में होता है तब इस प्रक्रिया को जलोढ़ निक्षेपण कहते हैं।
सहायक नदी
- वह नदी जल धारा जो अपना मुहाना एक वृहद नदी में बनाती है सहायक नदी कहलाती है।
- उदाहरण के लिए यमुना नदी जो की मां गंगा नदी की एक सहायक नदी है और प्रयागराज में गंगा नदी में जाकर मिल जाती है अर्थात अपना मुहाना (Mouth Of River) प्रयागराज में बनती है।
भारतीय मरुस्थल
- भारत की उत्तर पश्चिम भाग में स्थित थार मरुस्थल, जिसका विस्तार
- दक्षिणी पंजाब
- राजस्थान एवं
- उत्तरी गुजरात के क्षेत्र में है,
- वर्षा की कमी एवं भूमिगत जल स्रोतों के अभाव के कारण यह अत्यधिक शुष्क एवं गर्म जलवायु वाला क्षेत्र है।
- परिणाम स्वरूप वनस्पति घनत्व न्यूनतम है।
प्रायद्वीप पठार
- उत्तर के मैदान के दक्षिण में स्थित भारतीय स्थल मंडल प्लेट का यह प्राचीनतम भाग है।
- जिसका निर्माण मूल रूप से ज्वालामुखी से निकला लावा से हुआ है।
- इसकी पश्चिमी सीमा पश्चिम घाट पर्वत श्रृंखला तथा पूर्वी सीमा पूर्वी घाट पर्वतीय श्रृंखला बनाती है।
- जबकि उत्तरी सीमा विंध्या एवं सतपुरा पर्वत श्रंखला के द्वारा बनती है।
- इस प्रकार इस आकृति त्रिभुजाकार है।
सह्याद्रि
- प्रायद्वीप पठार के पश्चिमी तट पर स्थित "पश्चिमी घाट पर्वत श्रृंखला" को सहयाद्री भी कहते हैं।
- इस पर्वत श्रंखला की ऊचाई उत्तर से दक्षिण की ओर बढ़ती है।
- श्रंखला की औसत लंबाई 1600 किलोमीटर की है तथा इसका उच्चतम बिंदु अनाईमुडी / Annaimudi की पहाड़ी है।
- अन्नामलाई पर्वत पर स्थित इस पहाड़ी की ऊंचाई 2695 मीटर की है।
पूर्वी घाट
- यह भारत के पूर्वी तट पर स्थित पर्वत श्रंखला जिसका विस्तार पश्चिम बंगाल से प्रारंभ होकर तमिलनाडु राज्य तक है।
- पूर्वी घाट का सर्वोच्च बिंदु "जिंदगड़ा चोटी" है, इस की ऊंचाई 1,690 मीटर है जोकि आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम जिले में स्थित है।
- पूर्वी घाट एक सतत संखला न होकर होकर एक विखंडित पर्वत श्रंखला है जिसका प्रमुख कारण नदियों के द्वारा एक बड़ी मात्रा में अपरदन करना है।
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तटीय मैदान
- पश्चिमी घाट के पश्चिमी छोर पर तथा पूर्वी घाट की पूर्वी छोर पर भारत के तटीय मैदान मिलते हैं।
- जिनका निर्माण नदी एवं समुद्र के अवसाद के निक्षेपण प्रक्रिया के परिणाम स्वरूप हुआ है।
- पश्चिमी तटीय मैदान संकीर्ण जबकि पूर्वी तटीय मैदान चौड़े हैं।
- नामकरण की दृष्टि से तटीय क्षेत्र के नाम एवं तटीय सीमा वाले राज्य
- कच्छ के रन-गुजरात
- कोकण महाराष्ट्र-गोवा
- कन्नड़ के तट-कर्नाटक
- मालाबार तट-केरला
- कोरोमंडल तट-तमिलनाडु तथा दक्षिणतम बिंदु आंध्र प्रदेश
- उत्तरी सिरकास-आंध्र प्रदेश
- उत्कल के मैदान उड़ीसा
- सुंदरबन तटीय मैदान-पश्चिम बंगाल।
- नवीनतम सूचना के अनुसार अब भारतीय तटीय सीमा की कुल लंबाई 10,998 अर्थात लगभग 11,000 किलोमीटर हो गई है।
- इसमें सबसे लंबे तटीय मैदान गुजरात के दूसरे नंबर पर तमिलनाडु तथा सबसे छोटे गोवा के।
प्रयादीप भारत का ढाल
- प्रदीप भारत का ढाल पश्चिम से पूर्व की ओर है।
- परिणाम स्वरूप भारत की प्रमुख नदियां, सहायक नदियों के साथ, पश्चिमी घाट से पूर्वी घाट की ओर बहती है तथा पूर्वी घाट का अपरदन करती है।
डेल्टा
- भारत की नदियां पूर्व की ओर बहते हुए बंगाल की खाड़ी में अपने डेल्टा बनाती हैं।
- डेल्टा वह क्षेत्र है जहां पर नदी का बहाव ढलान अत्यधिक कम हो जाने के कारण धीमा हो जाता है।
- परिणाम स्वरूप जल एवं अवसादो का आयतन अधिक होने के कारण नदी अनेक धाराओं में खंडित हो जाती है।
- इस प्रकार नदी का क्षैतिज विस्तारि होता है एव नदी एक वृहद क्षेत्र में अवसादो का निक्षेपण करते हुए समुंद्र का मुहाना बनाती है।
- क्योंकि यह क्षेत्र भौतिकी के संकेत डेल्टा के समान दिखाई देता है इसलिए इसे नदी डेल्टा कहते हैं।
- भारत का सबसे बड़ा डेल्टा गंगा नदी बनाती है
- जबकि दूसरे सबसे बड़ा डेल्टा गोदावरी नदी के द्वारा बनाया जाता है, तथा
- तीसरा सबसे बड़ा डेल्टा कृष्णा नदी के द्वारा बनता है।
सुंदरबन डेल्टा
- गंगा एवं ब्रह्मपुत्र नदी के द्वारा बांग्लादेश एवं भारत की सीमा पर बनाया गया डेल्टा क्षेत्र सुंदरबन डेल्टा कहलाता है।
- भारत के पश्चिम बंगाल राज्य में विस्तारित है।
- सुंदरबन डेल्टा यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में पंजीकृत है।
- यह भारत का तथा विश्व का सबसे बड़ा डेल्टा है जिसका निर्माण गंगा ब्रह्मपुत्र नदी नदियों के द्वारा किया जाता है।
- भारत विभाजन के पश्चात इसका 20% भाग भारत में तथा 80% भाग बांग्लादेश में हस्तांतरित हो गया।
- ध्यान रखिए जो अधिक शांति शांति गाते हैं वह सबसे अधिक प्रताड़ित और विभाजित होते हैं।
- नेपाल- Nepal- भारतीय उपमहाद्वीप में एकमात्र ऐसा देश है जो कभी गुलाम नहीं बने क्योंकि वह रण जानता था।
- इसराइल- Isreal- इसका दूसरा उदाहरण है
- और तिब्बत के बौद्ध हमेशा शांति शांति का पाठ करते रहते हैं इसलिए अभी तक अपना देश नहीं बना पाएं है।
- शांति वीर और पराक्रमी का आभूषण है तथा
- यही शांति शक्तिहीन का आवरण है जिसके पीछे वह अपने आदर्शवाद के माध्यम से छिपा हुआ रहता है।
भारत के द्वीप एवं दीप समूह
- भारत में कुल दीप की संख्या 1382 है।
- भारत में 2 दीप समूह है -
- अंडमान एवं निकोबार दीप समूह तथा
- लक्ष्य दीप दीप समूह।
अंडमान एवं निकोबार
- अंडमान एवं निकोबार दीप समूह में कुलदीप की संख्या 572 है।
- अंडमान एवं निकोबार दीप समूह ज्वालामुखी उत्पत्ति के दीप समूह है।
- हैवलॉक द्वीप, जिसे आधिकारिक रूप से स्वराजदीप कहते हैं, इस दीप समूह का सबसे बड़ा दीप है।
- सैडल चोटी, जोकि अंडमान एवं निकोबार दीप समूह की सबसे ऊंची पर्वत चोटी है, उत्तरी अंडमान द्वीप पर स्थित है।
- अंडमान तथा निकोबार दीप समूह 10 डिग्री चैनल के द्वारा प्रथक होते हैं।
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लक्ष्य दीप समूह
- लक्षद्वीप कोरल दीप समूह है जिसमें कुलदीप की संख्या 36 है।
- यह लक्षद्वीप समूह "सोकोतरा छैगोज हिंद महासागर कटक" पर स्थित है विशेष रूप से "छैगोज शाखा कटक" पर।
- अर्थात मूलतः इसकी उत्पत्ति ज्वालामुखी है किंतु कालांतर में प्रवाल अवसाद निक्षेपण के कारण यह प्रवाल द्वीप में परिवर्तित होता है।

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