तीव्र बिंदु/Bullet Points
- इस परियोजना के अंतर्गत कुल 5 लाख एकड़ भूमि को कृषि योग्य बनाने का लक्ष्य है।
- नासेर झील, जो कि विश्व की 5 वी सबसे बड़ी मानव निर्मित झील है, "असवान बांध/ Aswan Dam" से 200 किलोमीटर दूर मिश्र तथा सूडान की सीमा पर स्थित है।
- यह बताते चलें कि विश्व की बसे बड़ी मानव निर्मित झील चीन में स्थित 3 गार्ज झील ( Three Gorgr Ram Reservoir) है जो कि चीन की "यांग्त्जे नदी/ Yangtze River" पर स्थित है।
- इसके पश्चात दूसरे स्तर पर वोल्टा झील-घाना Lake Volta in Ghana देश में स्थित, करीबा झील-जांबिया/ जिंबॉब्वे lekar Kariba in Zambia/Zimbabwe में स्थित, ब्रतस्क झील- रूस Lake Bratsk- Rissia में स्थित हैं।
- सूडान में इस नासेर झील को "नुबिया झील (Nubia Lake)" के नाम से जाना जाता है।
- मिस्र देश की 95% जनसंख्या केवल 5% भूमि पर रहती है, तथा बताने की आवश्यकता नहीं की है भूमि क्षेत्र कौन सा होगा??
- क्योंकि जल
ही जीवन है और विश्व की सबसे लंबी नदी नील नदी (River Nile) मिश्र से होकर निकलती है।
हम जानते हैं और
मैं इस विषय पर लगातार चर्चा भी करता रहा हूं की -
- जनसंख्या अपने आप में एक बल है और
- प्रत्येक बल अपने आप में एक संसाधन है।
- इस प्रकार जनसंख्या अपने आप में संसाधन है,
- लेकिन तभी तक जब तक संसाधन का प्रबंध ठीक प्रकार से हो पा रहा है
- अन्यथा यही कुप्रबंधन राज्य के लिए अराजकता में परिवर्तित होता है
- क्योंकि जो सबसे पहली आवश्यकता है वह भोजन की है और
- यदि भोजन की उपलब्धता प्रथम अवस्था में नष्ट होती है तो अराजकता होने निश्चित है जैसे की दृश्य हमने पाकिस्तान में देखें है।
इसलिए-
- 95% जनसंख्या 5% भूमि में रहने का स्पष्ट अर्थ है कि
- जनसंख्या घनत्व तथा संसाधनों का दोहन उच्च स्तर पर होगा
- आवश्यकता इसके पुनरवितरण (Redistribution) की है
- जिसके लिए नवीन भूमि की आवश्यकता होगी क्योंकि सब कुछ भूमि पर ही होता है।
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अब जनसंख्या
प्रबंधन के लिए यह आवश्यक था कि-
- एक नई भूमि उपलब्ध होनी चाहिए जो कि नील नदी से अलग हो
- इस नई भूमि को बसाने के लिए जो सबसे पहले आवश्यकता है वह जल की ही होगी।
- इसलिए मिस्र देश ने तोषका परियोजना (Toshka Project), जिसे हम "New Valley Project" के नाम से भी जानते हैं, पर एक नीति के अंतर्गत कार्य करना प्रारंभ किया।
तोषका परियोजना (Toshka Project) - नीति के अंतर्गत
उद्देश्य स्पष्ट था लक्ष्य-
- नील नदी के पानी को मरुभूमि तक पहुंचाना
- ताकि भूमि को कृषि योग्य बनाया जा सके
- क्योंकि जल और कृषि की उपलब्धता ही नवीन कृषि भूमि, आवासीय परिसर तथा समाज का विकास करती है।
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नीतिगत कार्य के
अंतर्गत -
- प्रथम चरण में मिस्र में नील नदी पर स्थित "असवान बांध (Aswan Dam)" की "नासेर झील-Nasser Lake-" से पानी को पंप के माध्यम से उठाकर रेगिस्तान के दूरस्थ क्षेत्र में भेजने की योजना बनाई गई
- इस स्टेशन को "मुबारक पंपिंग स्टेशन Mubarak
Pumping Station" के नाम से जाना गया।
- तो निश्चित है यदि पानी को पंप के
माध्यम से ऊपर उठना है तो किसी कुंड या नहर की आवश्यकता होगी। इसी प्रक्रिया में
"शेख जायद नहर -Shaikh
Zayad canal" का निर्माण किया गया।
- और इस प्रकार इस नहर के माध्यम से नासेर झील का पानी सैकड़ो किलोमीटर दूर सहारा मरुस्थल में भेजने का प्रबंध किया गया।
परियोजना प्रारंभ हुई और पानी को सहारा मरुस्थल के अन्य भागों में भेजा गया।परिणाम स्वरुप स्थान स्थान पर छोटी जिलों का निर्माण कर दिया गया और वहां पर झीलों के किनारे खेती प्रारंभ होती है।
प्रारंभ में सब कुछ अच्छा चला
लेकिन यदि आप किसी स्थान के भूगोल की अनदेखी करेंगे तब प्रकृति कुछ ऐसा प्रति
उत्तर देती है जो की अकल्पनीय होता है।
- यह परियोजना अपने आप में अत्यधिक महंगी परियोजना थी तथा इसके दिन प्रतिदिन संचालन पर होने वाला व्यय भी औसत से बहुत अधिक था।
- इसकी पृष्ठभूमि में आर्थिक गणना यह थी कि परियोजना प्रारंभ होने पर "निजी निवेश ( Private Investment)" इसको अपनी और आकर्षित करेगा किंतु ऐसा नहीं हुआ।
- दूसरा कारण सहारा मरुस्थल अपने आप में गर्म भूमि का क्षेत्र है परिणाम स्वरुप पानी का वाष्पीकरण भी सामान्य से बहुत अधिक था जिस कारण जलस्तर बहुत तेजी से क्षय हो रहा था।
- सहारा जिस स्थान पर है वहां पर कभी समुद्र हुआ करता था जिसके प्रमाण इस नमकीन भूमि के होने के कारण मिलते हैं और
- हम
जानते हैं कि नमक की भूमि में फसल सुगमता के साथ नहीं हो पाती है अर्थात एक बड़े
स्तर पर "कृषि आनुवांशिक रूपांतरण Agriculture Genetic Modification" का कार्यक्रम भी चलना था।
वर्ष 2011 में मिश्र में राजनीतिक अस्थिरता मैं सरकार परिवर्तन हुआ और नवीन सरकार
ने इस परियोजना की अनदेखी प्रारंभ कर दी परिणाम स्वरुप परियोजना स्वत: अपनी मृत्यु
की ओर अग्रसर हो गई।
लेकिन वर्ष 2014 में परिस्थितियों में पुनः परिवर्तन हुआ और उस समय के "राष्ट्रपति अब्देल
फतह अल-सिसी Andel Fattah Alsisi" ने पुनः इस पर ध्यान
केंद्रित किया।
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कुछ महत्वपूर्ण
निर्णय लिए गए-
- जिसके अंतर्गत परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया गया।
- सर्वप्रथम योजना के सभी चरण के निर्माण अधीन कार्य पूरे किए गए।
- भूमि पर कृषि को आधुनिक विधि के माध्यम से उगने का काम प्रारंभ किया गया इसके "कृषि अनुवांशिकी रूपांतरण" तथा "केंद्र-धुरी-सिंचाई Pivot Irrigation" का प्रयोग किया गया इस विधि में "जल फुहार (Water Sprinkle)" के माध्यम से पानी सीधे फसल की जड़ तक पहुंचता है, और
- इस प्रकार जल क्षय (Water
wastage) अत्यधिक कम हो जाता है।
- इस कार्य को करने वाली मशीन ठीक प्रकार से कार्य कर सकें इसलिए आपको यहां पर खेतों के जो आकर हैं वह गोलकार आकृति में मिलेंगे क्योंकि मशीन खेत के मध्य में खड़े होकर गोल-गोल घूम कर जल छिड़काव करती है।
परिणाम स्वरूप आज
की स्थिति में -
- मिस्र में बड़ी मात्रा में गेहूं/Wheat, खजूर/Dates तथा दूसरी आवश्यक फसलों की खेती हो रही है।
- इसका अंतिम परिणाम यह निकला कि खाद्यान्न सुरक्षा सुनिश्चित करी गई
- दूसरा खेती के माध्यम से नवीन रोजगार(नियोजन/ Employment ) के अवसर उपलब्ध हुए।
इस कारण से -
- देश की अर्थव्यवस्था में कृषि अर्थव्यवस्था का योगदान,
- पारिश्रमिक,
- श्रमिक,
- मानव संसाधन तथा
- आय
वर्तमान में यह परियोजना
सफलतापूर्वक क्रियान्वित की जा रही है जो की एक उदाहरण है कि अतः प्रयासों के
पश्चात यदि प्रकृति से सामंजस्य बनाया जाए तो मानव और प्रकृति में "एक सकारात्मक
संबंध स्थापित हो सकता है।"
लेकिन फिर भी
उत्तर वर्तमान परिस्थितियों के आधार पर पूर्ण नहीं है क्योंकि -
- परियोजना को प्रारंभ हुई अभी लगभग 10 वर्षी हुए है।
- भूगोल की परिभाषा में यदि हम जलवायु की परिभाषा का अध्ययन करें तो कम से कम 30 वर्ष का समय चाहिए होता है।
- इस आधार पर दीर्घकालिक अवधि में भविष्य की चिताओं का निवारण हो चुका है ऐसा नहीं कहा जा सकता?
- अभी कम से कम अगले 20
वर्ष और इसकी प्रतीक्षा करनी होगी कि वास्तव में प्रकृति किस प्रकार से
प्रतिक्रिया कर रही है।
लेकिन वर्तमान परिस्थितियों के
आधार पर एक आशा की किरण निश्चित रूप से जागी है और यह है एक सुखद अनुभव देने वाला
क्षण है।
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