अनुक्रमणिका-
समिति का अर्थ
- संरचना
- प्रमुख कार्य
- वर्तमान परिस्थितियों में विश्लेषण।
- कार्य निष्पादन के कई प्रकार होते हैं।
- यदि भारतीय राज्य व्यवस्था की बात करी जाए तब इस संसरीय लोकतंत्र के अंतर्गत समिति अपनी प्रमुख भूमिका का निर्वहन कार्य निष्पादन में करती है।
यदि हम समिति
शब्द का विश्लेषण करते हैं -
- समिति का अर्थ "सम" अर्थात समानता के स्तर पर एवं "ईती" शब्द का अर्थ या तात्पर्य बुद्धि से है अर्थात ऐसा समूह जिसके सभी लोग "एक समान बुद्धि" के स्तर पर सहमति बनाते हैं समिति कहलाती है।
- तब इसका अर्थ निकल के आता है समानता के साथ विषय की समाप्ति अर्थात
- एक ऐसा समूह जो चर्चा के बाद एक सामंजस्य तथा एक समान सोच के साथ समाधान निकालता है।
"कैबिनेट
सुरक्षा समिति" Cabinet
Committee Security - CCS अपना कार्य -
- भारत सरकार कार्य आवंटन नियमावली ( Government of India Transaction of Business Rule)-1961 के अंतर्गत करती है
- जिसके अंतर्गत इसका मूल सिद्धांत "श्रम विभाजन एवं प्रभावी प्रतिनिधित्व (Division of Labour and Effective Delegation) का है।
जैसा कि हमको
विदित है -
- "कैबिनेट/Cabinet" शब्द 44 से संविधान संशोधन वर्ष-1978 के द्वारा संविधान में जोड़ा गया
- जहां अनुच्छेद -352 के अंतर्गत इस शब्द का उल्लेख मिलता है।
- हम जानते हैं अनुच्छेद 352 "राष्ट्रीय आपातकाल/ National Emergency" के संबंध में निर्देशित करती है।
- यह संविधान संशोधन "जनता पार्टी/ Janta Party" की सरकार के अंतर्गत, जिसका नेतृत्व मोरारजी देसाई कर रहे थे, लाया गया था।
यदि कैबिनेट
समिति की संरचना का अध्ययन करें तो इसमें कुल पांच सदस्य -
- प्रधानमंत्री,
- गृहमंत्री,
- रक्षा मंत्री,
- विदेश मंत्री तथा
- वित्त मंत्री होते हैं।
- इसके साथ ही राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एवं अन्य अधिकारी, जिनको विषय के अनुसार आमंत्रित किया जाता है, इस बैठक का भाग बनते हैं।
भूगोल अवधारणाएं/ सिद्धांत-Geography Concept
महत्व-
यदि संरचना के
आधार पर महत्व को देखें तो वित्त मंत्री का यहां होना संकेत देता है कि-
- जो भी उच्च स्तर के निर्णय लिया जाएंगे राज्य को उसके लिए वित्तीय संसाधन की आवश्यकता रहती है
- इस प्रकार वित्त मंत्रालय की उपस्थिति में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि धन की उपलब्धता एवं उसका आवंटन किस प्रकार से हो,
- क्योंकि यदि वित्त सुरक्षित नहीं किया गया है तो कार्य को प्रारंभ करना, प्रभाव तथा उसका परिणाम निष्फल हो जाएगा।
विदेश मंत्री की
उपलब्धता सुनिश्चित करती है कि -
- जो निर्णय लिया जाने वाला है
- उसके संबंध में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहले से कोई वातावरण या सोच कार्य कर रही है या नहीं,
- वह स्थिति जिसमें चुकी यह निर्णय अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के प्रभाव वाला है
- तब अंतरराष्ट्रीय समुदाय में इसके पक्ष में वातावरण किस प्रकार से तैयार किया जाए।
- उदाहरण के लिए जो अभी पहलगाम में आतंकवादी घटना हुई है उसके संबंध में भारत जो निर्णय लेगा उसके संदर्भ में अंतरराष्ट्रीय समुदाय को विश्वास में लेना होगा तो संवाद किस स्तर पर किया गया और किस-किस से किया गया इस कार्य का दायित्व विदेश मंत्री का रहता है।
गृहमंत्री की उपस्थिति-
- निश्चित रूप से भारत के आंतरिक सुरक्षा विषयों के संबंध में है।
- उदाहरण के लिए किसी राज्य की कानून व्यवस्था राज्य सरकार का विषय है किंतु
- उस राज्य में राष्ट्रीय स्तर के स्मारक या
- वह राज्य किसी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर है या
- विधि व्यवस्था का विषय दो राज्यों के मध्य है या
- राज्य दो राज्यों के मध्य अथवा अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर स्थित है या
- राज्य का विषय ऐसा है कि वह एक से अधिक राज्यों को प्रभावित करता है
- तब यह आंतरिक सुरक्षा का विषय बन जाता है और इस संबंध में गृहमंत्री इस विषय का निवारण करते हैं।
अंत में रक्षा
मंत्री की उपस्थिति,
- जो की सर्वाधिक संदर्भित लगती है,
- वह भारत की सीमा सुरक्षा कार्य करने की पद्धति एवं तंत्र की क्रियात्मक गतिविधियों के संबंध में है।
- साधारण शब्दों में पूरा सैन्य बल किस रणनीति के अंतर्गत
- किस प्रकार की कार्य योजना का अनुसरण करते हुए
- अपने लक्ष्य को प्राप्त करेगा
- यह दायित्व रक्षा मंत्री का रहता है।
जो प्रधान है
वह प्रधानमंत्री है -
- इस पर हमको लगता नहीं कि अधिक चर्चा होनी चाहिए
- क्योंकि प्रधानमंत्री की उपस्थिति ही अपने आप में समस्त बिंदुओं को समायोजन करना है।
अब यदि कार्यो की
चर्चा करें तब सीसीएस-
- आंतरिक एवं बाह्य सुरक्षा संबंधित निर्णय का लेना
- समस्त सैन्य नियुक्तियां करती है
- राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की नियुक्ति।
- DRDO से संबंधित नीतिगत निर्णय
- आणविक ऊर्जा या परमाणु ऊर्जा - Atomic Energy-से संबंधित निर्णय।
- यदि ₹1000 करोड़ से अधिक का सेना संबंधित हैं विषय,
- सुरक्षा से संबंधित राजनीतिक विषयों की चर्चा एवं निर्णय।
कोई समिति कितनी प्रभावी है -
- यह विषय उस समिति के सदस्यों के व्यक्तित्व पर भी निर्भर करता है
- यदि हम आकलन करें तो समय समय पर पाते हैं कि कैबिनेट सुरक्षा समिति कभी अधिक प्रभावी होती है तथा कभी कम।
- यह सभी पक्ष इस बात पर निर्भर करते है कि प्रधानमंत्री कार्यालय में जो व्यक्ति प्रधानमंत्री के रूप में बैठे हैं उनका व्यक्तित्व किस प्रकार का है।
हम इस विषय की
चर्चा क्यों कर रहे हैं क्योंकि -
- क्योंकि दिल्ली में जो बम विस्फोट हुआ है उससे संबंधित आज "Cabinet Committee On Securities- CCS" की बैठक है।
- इसकी अंतिम बैठक- Last Meeting - पहलगाम आतंकवादी आक्रमण के पश्चात हुई थी जिसकी परिणीति में भारत ने "ऑपरेशन सिंदूर - operation sindoor-" का निर्णय लेकर पाकिस्तान के आतंकवादी ठिकानों को लक्षित किया।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,
- राजनाथ सिंह,
- अमित शाह,
- एस जयशंकर और
- निर्मला सीतारमण इसके सदस्य हैं
- साथ ही अजीत दोवाल राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार।
- यदि इन 6 व्यक्तियों के व्यक्तित्व का अध्ययन करें तो एक कठोर निर्णय लेने वाले व्यक्तित्व यह माने जाते हैं इसलिए मान कर चलिए कि समिति का जो भी निर्णय होगा वह पुनः एक बार अत्यधिक प्रभावी तथा निर्णायक होगा।
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ऑपरेशन सिंदूर के समय समिति ने कुल पांच प्रमुख कठोर निर्णय लिए थे-
- सिंधु नदी समझौता / Indus water treaty को तुरंत प्रभाव से निष्प्रभावी किया गया।
- SAARC देश समूह सुविधा के अंतर्गत पाकिस्तान के वह नागरिक जिनको भारत वीजा उपलब्ध करा रहा था उसको बंद कर दिया गया ।
- जो पाकिस्तानी नागरिक भारत में रह रहे थे उनको 48 घंटे की समय सीमा में पाकिस्तान छोड़ने के लिए निर्देशित कर दिया गया है।
- इसके साथ ही पाकिस्तानी उच्चायोग को भारत में बंद करने का निर्णय लिया गया,तथा
- संबंधित पाकिस्तानी अधिकारियों को एक सप्ताह के भीतर भारत छोड़ने का निर्देश दिया गया।
- पाकिस्तान में भारतीय उच्च आयोग की संख्या को 54 से घटकर 30 पर लाया गया।
- वाघा-अटारी अंतर्राष्ट्रीय सीमा - Wagah-Attari International border- को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया ।
उस समय यह कठोर निर्णय भारत सरकार ने संपन्न हुई "सीसीएस /CCS " की बैठक में लिए थे।
- पहलगांव आतंकवादी घटना और उसमें 28 नागरिकों की मृत्यु होना एक एक जघन्य अपराध था जो कि समाज और मानवता के विरुद्ध था।
- एक देश और समाज को बहुत लंबा समय लगता है एक मानव संसाधन को तैयार करने में।
- उस समय इन कठोर निर्णय का लिया जाना अवश्यंभावी था जो की एक सही दिशा में लिए गए निर्णय थे।
- दिल्ली में जो बम ब्लास्ट हुआ उसके संदर्भ में पुनः एक बार देश को कठोर निर्णय लेने की आवश्यकता बता गया है।
- परिणाम स्वरूप आज प्रधानमंत्री ने कैबिनेट सुरक्षा समिति- CCS की बैठक बुलाई है।
चुकी -
- पहलगाम आतंकवादी घटना अथवा दिल्ली का बम ब्लास्ट यह सभी घटनाएं व्यक्ति विशेष या किसी समूह का न होकर एक विचार का अपराध है इसलिए आवश्यकता है कि -
- इस विचार को, इसके समर्थकों के साथ, समाप्त किया जाए और
- इसके लिए राज्य को अत्यधिक कठोर निर्णय लेने होंगे।
- यह संभव है कि मानवतावादी लोग- So called Human Rights Activist- उन कठोर निर्णय का विरोध करेंगे लेकिन फिर भी हमको यह तीन अत्यधिक कठोर निर्णय लेकर सफाई करने की आवश्यकता है।
- इसी सतत प्रक्रिया में सीसीएस (CCS) की बैठक आज 12/11/2025 होने वाली है
🙏
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